
इद्दिपदा
Iddhipada
(Compound term composed of power, potency, base, basis or constituent)
Summary
इद्धि pada: बौद्ध धर्म में आध्यात्मिक शक्ति का आधार
"इद्धि pada" एक पाली शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है: "इद्धि" और "pada"। "इद्धि" का अर्थ है "शक्ति" या "क्षमता", जबकि "pada" का अर्थ है "आधार", "नींव" या "घटक"।
बौद्ध धर्म में, "इद्धि pada" शब्द का प्रयोग आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए आवश्यक चार मानसिक गुणों को दर्शाने के लिए किया जाता है।
ये चार आधारभूत मानसिक गुण हैं:
संकल्प समादि (छंद समापत्ति): यह दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प की एकाग्रता है। यह लक्ष्य प्राप्ति के लिए दृढ़ निश्चय और अटूट संकल्प की मानसिक स्थिति है।
वीर्य समादि (वीर्य समापत्ति): यह अथक प्रयास और उत्साह की एकाग्रता है। यह आलस्य और निराशा को दूर करके निरंतर प्रयास करने की मानसिक स्थिति है।
चित्त समादि (चित्त समापत्ति): यह सजगता और जागरूकता की एकाग्रता है। यह वर्तमान क्षण में पूरी तरह से उपस्थित रहने और विचारों के बहाव में न बहने की मानसिक स्थिति है।
विमंस समादि (मीमांसा समापत्ति): यह बुद्धि और विश्लेषण की एकाग्रता है। यह चीजों को गहराई से समझने और सही-गलत का विवेक करने की मानसिक स्थिति है।
इन चार आधारभूत मानसिक गुणों को विकसित करके, व्यक्ति अपने मन को कुशल मानसिक अवस्थाओं (जैसे प्रेम, करुणा, मुदिता) में स्थिर कर सकता है और अकुशल मानसिक अवस्थाओं (जैसे लोभ, द्वेष, मोह) को दूर कर सकता है।
बौद्ध ग्रंथों में, इन चार मानसिक गुणों को "सप्त बोधिपाक्षिक धर्म" (बोध enlightenment के लिए सात सहायक कारक) में से एक माना गया है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बौद्ध धर्म में, "इद्धि" या आध्यात्मिक शक्तियाँ स्वयं साध्य नहीं हैं, बल्कि बोधि (ज्ञान प्राप्ति) प्राप्त करने के साधन मात्र हैं।