Sarak

सरक

Sarak

(Jain Community of Eastern India)

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सरक समुदाय: विस्तृत विवरण

पृष्ठभूमि:

सरक (বাংলা: সরাক) समुदाय, जिसका नाम संस्कृत शब्द 'श्रावक' से निकला है, मुख्यतः झारखंड, बिहार, बंगाल और उड़ीसा में पाया जाता है। यह समुदाय प्राचीन काल से ही जैन धर्म का अनुयायी रहा है और शाकाहार जैसे जैन धार्मिक सिद्धांतों का पालन करता आया है।

पृथक जैन समुदाय से अलगाव:

हालांकि सरक समुदाय जैन धर्म का पालन करता है, लेकिन भौगोलिक दूरी और ऐतिहासिक कारणों से यह पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी भारत में स्थित मुख्य जैन समुदाय से अलग-थलग हो गया। इस अलगाव के बावजूद, सरक समुदाय ने अपनी जैन पहचान और मान्यताओं को सदियों से संजोए रखा है और जैन बंगाली के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

सामाजिक और आर्थिक स्थिति:

सरकार ने 1994 में सरक समुदाय के एक हिस्से को 'अन्य पिछड़ा वर्ग' (OBC) के रूप में वर्गीकृत किया है। हालांकि, इस समुदाय का एक बड़ा हिस्सा शुरू से ही 'सामान्य' श्रेणी में आता रहा है। यह दर्शाता है कि सरक समुदाय के भीतर भी सामाजिक और आर्थिक विषमताएँ विद्यमान हैं।

संक्षेप में:

सरक समुदाय एक अनूठा उदाहरण है कि कैसे एक धार्मिक समुदाय, भौगोलिक अलगाव और सामाजिक परिस्थितियों के बावजूद, अपनी धार्मिक पहचान और परंपराओं को जीवित रखता है।


Saraks is a community in Jharkhand, Bihar, Bengal, and Orissa. They have been followers of Jainism, such as vegetarianism, since ancient times, however, were isolated and separated from the main body of the Jain community in western, northern, and southern India and have been Jain Bengalis ever since. The governments of India and West Bengal both have classified some of the Saraks under Other Backward Classes since 1994 but many of them have been in the General category from the beginning itself.



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