
बांग्लादेश में बौद्ध धर्म
Buddhism in Bangladesh
(Overview of the role of Buddhism in Bangladesh)
Summary
बौद्ध धर्म: बांग्लादेश में एक झलक
बांग्लादेश में लगभग 0.63% जनसंख्या बौद्ध धर्म का पालन करती है, जो इसे देश का तीसरा सबसे बड़ा धर्म बनाता है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने जीवनकाल में पूर्वी बंगाल का भ्रमण किया था और अपनी शिक्षाओं का प्रचार किया था। वे स्थानीय लोगों को, खासकर चटगांव क्षेत्र में, बौद्ध धर्म अपनाने में सफल रहे थे। बाद में, पाल साम्राज्य ने पूरे बंगाल में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार और संरक्षण किया।
बांग्लादेश में लगभग 10 लाख लोग थेरवाद बौद्ध धर्म का पालन करते हैं। 65% से अधिक बौद्ध आबादी चटगांव पहाड़ी क्षेत्रों में केंद्रित है, जहाँ यह रखाइन, चाकमा, मारमा, तंचंग्या, अन्य जुम्मा लोगों और बरुआ समुदायों का प्रमुख धर्म है। शेष 35% बंगाली बौद्ध हैं।
बौद्ध समुदाय बांग्लादेश के शहरी केंद्रों, विशेषकर चटगांव और ढाका में भी पाए जाते हैं।
विस्तार से:
- पाल साम्राज्य का योगदान: पाल वंश के शासकों ने बौद्ध धर्म को राजाश्रय प्रदान किया और कई मठों और विहारों का निर्माण करवाया। इस काल में बौद्ध साहित्य और कला का भी विकास हुआ।
- थेरवाद बौद्ध धर्म: यह बौद्ध धर्म की सबसे प्राचीन शाखा है जो भगवान बुद्ध की मूल शिक्षाओं पर आधारित है। थेरवाद बौद्ध धर्म में ध्यान और आत्म-अनुशासन पर जोर दिया जाता है।
- चटगांव पहाड़ी क्षेत्रों में बौद्ध धर्म: यहाँ बौद्ध धर्म सदियों से प्रचलित है और स्थानीय संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है।
- शहरी क्षेत्रों में बौद्ध समुदाय: शहरी क्षेत्रों में बौद्ध समुदाय मुख्यतः व्यवसाय और शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हैं। वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने के लिए प्रयासरत हैं।
बांग्लादेश में बौद्ध धर्म का एक समृद्ध इतिहास और विविधतापूर्ण वर्तमान है।