भारत का पर्यावरण
Environment of India
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Summary
भारत का पर्यावरण: विविधता और चुनौतियाँ
भारत का पर्यावरण विश्व के सबसे जैव-विविध पारिस्थितिक क्षेत्रों में से कुछ को समेटे हुए है। दक्कन ट्रैप्स, गंगा के मैदान और हिमालय इसके प्रमुख भौगोलिक लक्षण हैं। एक विकासशील राष्ट्र होने के नाते, देश विभिन्न प्रकार के प्रदूषण का सामना करता है जो इसकी प्रमुख पर्यावरणीय समस्या है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील है।
भौगोलिक विविधता:
दक्कन ट्रैप्स: यह विशाल लावा पठार भारत के दक्षिण-पश्चिम में फैला हुआ है, जिसमें अद्वितीय वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं। इसके विशिष्ट भू-आकृतियाँ और जलवायु विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों को पनपने का अवसर प्रदान करती हैं। यहाँ आपको शुष्क काँटेदार झाड़ियाँ, घास के मैदान और कुछ क्षेत्रों में सघन वन भी मिलेंगे।
गंगा के मैदान: गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित यह उपजाऊ मैदान भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आबाद करता है। कृषि की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ, यह क्षेत्र जैव विविधता का भी केंद्र है, जहाँ विभिन्न प्रकार के पक्षी, स्तनधारी और अन्य जीव पाए जाते हैं। लेकिन, तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण यह क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में है।
हिमालय: विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला, हिमालय, भारत के उत्तरी सीमा पर स्थित है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों को दर्शाता है, जिससे यहाँ अद्वितीय वनस्पति और जीव-जंतु पाए जाते हैं। हिमालय के उच्चवर्ती क्षेत्रों में हिमनद और उच्च-ऊंचाई वाले घास के मैदान हैं, जबकि निचले क्षेत्रों में घने जंगल और उपजाऊ घाटियाँ हैं। यह क्षेत्र जल संरक्षण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पर्यावरणीय चुनौतियाँ:
प्रदूषण: वायु, जल और भूमि प्रदूषण भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है। औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों से निकलने वाला धुआँ और कचरा प्रबंधन की कमी वायु और जल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। कृषि में रसायनों के अत्यधिक उपयोग से भूमि प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन: भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। बढ़ते तापमान, असामान्य वर्षा और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि से देश के विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ आ रही हैं।
संरक्षण प्रयास:
भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए कई कानून हैं और यह जैविक विविधता पर कन्वेंशन (CBD) संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में से एक है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और प्रत्येक राज्य के वन विभाग देश भर में पर्यावरण नीतियों की योजना बनाते और उन्हें लागू करते हैं। हालांकि, इन प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यापक और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। जन जागरूकता और सहभागिता भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।