
सत्य
Satya
(Sanskrit word and a virtue in Indian religions)
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सत्य: सच्चाई से बढ़कर और क्या ?
"सत्य" एक संस्कृत शब्द है जिसका साधारण अर्थ सच्चाई या सार होता है। भारतीय धर्मों में यह एक महत्वपूर्ण गुण माना जाता है, जिसका अर्थ है अपने विचारों, वाणी और कर्मों में सच्चा होना।
सत्य सिर्फ शब्द नहीं, आचरण है:
- विचारों में सत्य: मन में किसी भी प्रकार का छल-कपट न रखना, अपने विचारों के प्रति ईमानदार रहना।
- वाणी में सत्य: सदैव सच बोलना, मिथ्या या झूठी बातों से दूर रहना।
- कर्मों में सत्य: न्याय और ईमानदारी से कर्म करना, किसी के साथ धोखा या छल न करना।
योग में सत्य:
योग दर्शन में सत्य को पांच यमों में से एक माना गया है। यहाँ सत्य का अर्थ है अपने भावों और कर्मों में किसी भी प्रकार के झूठ या वास्तविकता को तोड़ने-मरोड़ने से बचना।
सत्य का महत्व:
सत्य एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को आत्मिक उन्नति की ओर ले जाता है। सत्यवादी व्यक्ति समाज में सम्मान और विश्वास प्राप्त करता है। सत्य से ही धर्म, न्याय, प्रेम और शांति की स्थापना होती है।
Satya is a Sanskrit word loosely translated as truth or essence. It also refers to a virtue in Indian religions, referring to being truthful in one's thoughts, speech and action. In Yoga, satya is one of five yamas, the virtuous restraint from falsehood and distortion of reality in one's expressions and actions.