
कामाख्या मंदिर
Kamakhya Temple
(Temple dedicated to mother goddess Kamakhya)
Summary
कामाख्या मंदिर
स्थान: नीलांचल पहाड़ियाँ, गुवाहाटी, असम
महत्त्व: कामाख्या मंदिर भारत के सबसे पुराने और श्रद्धेय तांत्रिक स्थलों में से एक है। यह देवी कामाख्या को समर्पित है और कुलाचारा तंत्र मार्ग का केंद्र माना जाता है।
वास्तुकला: मंदिर की संरचना ८वीं-९वीं शताब्दी की मानी जाती है, जिसमें कई पुनर्निर्माण हुए हैं। इसका अंतिम स्वरूप नीलाचल शैली का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह शाक्त परंपरा के 51 पीठों में से एक है और सबसे पुराने 4 पीठों में से भी एक है।
इतिहास:
- प्रारंभिक इतिहास: ऐतिहासिक रूप से, यह स्थानीय देवी की पूजा का स्थान था जहाँ प्राकृतिक शिला पर स्थापित योनि की पूजा की जाती थी। यह परंपरा आज भी जारी है।
- राजशाही संरक्षण: कामरूप के मिलेच्छ वंश ने सबसे पहले इस मंदिर को संरक्षण प्रदान किया, जिसके बाद पाल, कोच और अहोम वंशों ने भी इसका संरक्षण किया। पाल शासन के दौरान रचित कालिका पुराण ने नरका (कामरूप राजाओं के पूर्वज) को देवी कामाख्या से जोड़ा, जो इस क्षेत्र और कामरूप राज्य का प्रतिनिधित्व करती है।
- तीन चरणों में पूजा का विकास: ऐसा माना जाता है कि यहाँ पूजा तीन चरणों में विकसित हुई:
- मिलेच्छ: योनि पूजा
- पाल: योगिनी पूजा
- कोच: महाविद्या पूजा
महाविद्या मंदिर: मुख्य मंदिर के आसपास दस महाविद्याओं को समर्पित दस अलग-अलग मंदिर हैं: काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमलात्मिका। इनमें से त्रिपुर सुंदरी, मातंगी और कमलात्मिका मुख्य मंदिर के अंदर विराजमान हैं जबकि अन्य सात देवियों के लिए अलग-अलग मंदिर हैं। सभी दस महाविद्याओं के लिए एक साथ मंदिरों का समूह मिलना दुर्लभ है।
आधुनिक महत्व: 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान यह तीर्थस्थल विशेषकर बंगाल के लोगों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया। जुलाई 2015 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर का प्रशासन कामाख्या देवोत्तर बोर्ड से लेकर बोरदेउरी समाज को सौंप दिया।
अम्बुबाची मेला: कामाख्या मंदिर में हर साल अम्बुबाची मेला का आयोजन होता है, जो देवी के रजस्वला होने का उत्सव है।
संक्षेप में: कामाख्या मंदिर ना केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी प्रतीक है। इसकी अनूठी वास्तुकला, पौराणिक कथाएँ और धार्मिक महत्व इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक बनाते हैं।