Bodhisattva_vow

बोधिसत्व व्रत

Bodhisattva vow

(Vow taken by Mahayana Buddhists to liberate all sentient beings)

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बोधिसत्व प्रतिज्ञा: सभी प्राणियों के लिए बुद्धत्व का मार्ग

बोधिसत्व प्रतिज्ञा महायान बौद्ध धर्म में एक महत्वपूर्ण संकल्प है जो सभी जीवों के कल्याण के लिए पूर्ण बुद्धत्व प्राप्त करने का प्रण लेता है। जो यह प्रण लेता है उसे बोधिसत्व कहा जाता है, जिसका अर्थ है "बुद्धत्व की ओर अग्रसर प्राणी"।

यह प्रतिज्ञा एक औपचारिक समारोह में ली जाती है, जिसकी देखरेख एक वरिष्ठ भिक्षु, शिक्षक या गुरु करते हैं। यह प्रतिज्ञा केवल इस जन्म तक सीमित नहीं रहती, बल्कि आने वाले जन्मों तक जारी रहती है, जब तक कि बुद्धत्व प्राप्त न हो जाए।

बोधिसत्व प्रतिज्ञा के मुख्य बिंदु:

  • सभी बुद्धों का सम्मान: सभी बुद्धों का आदर और उनसे प्रेरणा लेना।
  • उच्च नैतिक और आध्यात्मिक पूर्णता: सर्वोच्च नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक गुणों को विकसित करना और उनका पालन करना।
  • दूसरों की सेवा: अपने ज्ञान, करुणा और क्षमताओं का उपयोग दूसरों की सहायता और सेवा के लिए करना।
  • छह पारमिताओं का अभ्यास: बुद्धत्व प्राप्ति के लिए आवश्यक छह गुणों - दान, शील, क्षान्ति, वीर्य, ध्यान और प्रज्ञा - का निरंतर अभ्यास करना।

बोधिसत्व प्रतिज्ञा बनाम बोधिसत्व शील:

ध्यान रखें कि बोधिसत्व प्रतिज्ञा, बोधिसत्व शील से अलग है। बोधिसत्व शील, बोधिसत्वों के लिए विशिष्ट नैतिक दिशानिर्देश हैं, जबकि प्रतिज्ञा बुद्धत्व प्राप्ति का संकल्प है।

सारांश:

बोधिसत्व प्रतिज्ञा महायान बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण आधार है, जो करुणा, त्याग और सेवा के उच्च आदर्शों को दर्शाती है। यह एक ऐसी यात्रा है जो अनंत जन्मों तक चलती है और सभी जीवों के लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।


The Bodhisattva vow is a vow taken by some Mahāyāna Buddhists to achieve full buddhahood for the sake of all sentient beings. One who has taken the vow is nominally known as a bodhisattva. This can be done by venerating all Buddhas and by cultivating supreme moral and spiritual perfection, to be placed in the service of others. In particular, bodhisattvas promise to practice the six perfections of giving, moral discipline, patience, effort, concentration and wisdom in order to fulfill their bodhicitta aim of attaining buddhahood for the sake of all beings.



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