Non-possession

गैर कब्जे

Non-possession

(Philosophy that holds that no one or anything possesses anything)

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Aparigraha: गैर-लोभ या गैर-संग्रह

"अपरिग्रह" (Sanskrit: अपरिग्रह) एक धार्मिक सिद्धांत है जो दक्षिण एशिया में बौद्ध, हिंदू और जैन परंपराओं में पालन किया जाता है। यह शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है - "अ" (नहीं) और "परिग्रह" (संग्रह)। इस प्रकार, अपरिग्रह का अर्थ है "गैर-संग्रह" या "असंग्रह"।

जैन धर्म में अपरिग्रह

जैन धर्म में, अपरिग्रह को अहिंसा (अहिंसा) के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इसे "अपरिग्रह परमो धर्म:" कहा गया है, जिसका अर्थ है "असंग्रह सबसे बड़ा धर्म है"। जैन धर्म के अनुसार, अपरिग्रह का अर्थ है किसी भी चीज़ के प्रति मोह या लगाव न रखना, चाहे वह भौतिक वस्तु हो, विचार हो या भावना।

अपरिग्रह का अर्थ और महत्व

अपरिग्रह का अर्थ केवल गरीबी में रहना नहीं है। यह एक आंतरिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखता है और अनावश्यक वस्तुओं या लालच का त्याग करता है। यह व्यक्ति को लोभ, मोह और स्वार्थ से मुक्त करके आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

अपरिग्रह के लाभ

  • मानसिक शांति: जब हम अनावश्यक चीजों के पीछे नहीं भागते हैं, तो हमारा मन शांत और एकाग्र रहता है।
  • संतोष: अपरिग्रह हमें जो कुछ हमारे पास है उसमें संतुष्ट रहना सिखाता है।
  • उदारता: जब हमारे पास अनावश्यक चीजें नहीं होती हैं, तो हम दूसरों के साथ साझा करने के लिए अधिक उदार बनते हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण: अपरिग्रह का पालन करके, हम अपने उपभोग को कम करके पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।

अपरिग्रह का अभ्यास

अपरिग्रह का अभ्यास हम अपनी दैनिक जीवन में इन तरीकों से कर सकते हैं:

  • आवश्यकताओं और इच्छाओं में अंतर करें: केवल उन्हीं चीजों को खरीदें जिनकी हमें वास्तव में आवश्यकता है, न कि जो हमें बस चाहिए।
  • साझा करने की आदत डालें: अपनी चीजों को दूसरों के साथ साझा करें, चाहे वह कपड़े हों, किताबें हों या समय हो।
  • दान करें: अपनी अनावश्यक चीजों को दान कर दें ताकि वे किसी और के काम आ सकें।
  • सरल जीवन शैली अपनाएँ: एक सरल जीवन शैली अपनाने से हम अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकते हैं और अपने जीवन में अधिक संतोष प्राप्त कर सकते हैं।

महात्मा गांधी और अपरिग्रह

महात्मा गांधी ने अपरिग्रह को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बनाया। उन्होंने इसे "अहिंसक प्रतिरोध" का एक अनिवार्य हिस्सा माना। गांधीजी के अनुसार, जब तक हमारे मन में लोभ और संग्रह की भावना रहेगी, तब तक हम सच्चे अर्थों में स्वतंत्र नहीं हो सकते।

निष्कर्ष

अपरिग्रह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो हमें एक सरल, संतुष्ट और अर्थपूर्ण जीवन जीने में मदद कर सकता है। यह हमें लोभ, मोह और स्वार्थ से मुक्त करके हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।


Non-possession is a religious tenet followed in Buddhist, Hindu, and Jain traditions in South Asia. In Jainism, aparigraha is the virtue of non-possessiveness, non-grasping, or non-greediness.



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