
जागृति के सात कारक
Seven Factors of Awakening
(Spiritual qualities for Buddhist Awakening)
Summary
सात बोध्यांग: बुद्ध धर्म में जागृति के सात कारक (हिंदी में विस्तृत विवरण)
बुद्ध धर्म में, सात बोध्यांग (पाली: सत्त बोझंग; संस्कृत: सप्त बोध्यंग) वे सात कारक हैं जो आध्यात्मिक जागृति यानि 'बोध' की प्राप्ति में सहायक होते हैं। इन्हें 'सत्त सम्बोज्झंग' भी कहा जाता है। ये सात कारक हैं:
१. स्मृति (सति): यह वर्तमान क्षण में जागरूक और सचेत रहने की अवस्था है। इसमें विशेष रूप से धम्म (बुद्ध की शिक्षाओं) के प्रति जागरूकता बनाए रखना शामिल है। स्मृति हमें भटकने वाले मन को वापस वर्तमान में लाती है, जिससे अज्ञानता और दुःख का कारण बनने वाली स्वचालित प्रतिक्रियाओं से बचा जा सकता है।
२. धर्म-विचय (धम्म वित्चय): यह वास्तविकता की प्रकृति की जाँच-पड़ताल करने और उसे समझने की प्रक्रिया है। इसमें बुद्ध की शिक्षाओं का चिंतन, मनन और विश्लेषण शामिल है। धर्म-विचय हमें भ्रम और मिथ्या धारणाओं से मुक्त करता है और वास्तविकता को उसके वास्तविक रूप में देखने में मदद करता है।
३. वीर्य (विरिय): यह आध्यात्मिक विकास और जागृति प्राप्ति के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति, उत्साह और निरंतर प्रयास की भावना है। वीर्य बाधाओं को दूर करने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा देता है।
४. प्रीति (पीति): यह आंतरिक खुशी, हर्ष और प्रसन्नता की अनुभूति है जो ध्यान, धर्म के प्रति समझ और आध्यात्मिक प्रगति से उत्पन्न होती है। यह एक शांत और स्थिर खुशी है जो बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती है।
५. प्रश्रब्धि (पस्सद्धि): यह मन और शरीर दोनों की शांति, विश्राम और शांति की अवस्था है। यह बेचैनी, तनाव और चिंता से मुक्ति का अनुभव है। प्रश्रब्धि ध्यान और एकाग्रता के विकास के लिए आवश्यक है।
६. समाधि: यह एकाग्रता की अवस्था है जहाँ मन एकाग्र, स्थिर और शांत होता है। यह ऐसी एकाग्रता है जहाँ विक्षेप कम होते जाते हैं और चित्त एक बिंदु पर स्थिर होने लगता है। समाधि के माध्यम से, हम अपने भीतर गहरे छिपे हुए संस्कारों और अशुद्धियों को देख पाते हैं।
७. उपेक्षा (उपेक्खा): यह वास्तविकता को उसके वास्तविक रूप में स्वीकार करने की मानसिक स्थिति है, बिना किसी भी प्रकार की लालसा, द्वेष या मोह के। यह समता, संतुलन और निर्लिप्तता की अवस्था है जो हमें दुःख के कारणों से मुक्त करती है।
ये सात बोध्यांग मिलकर "बोधिपक्खियधम्म" यानि "जागृति से संबंधित धर्मों" के "सात समूहों" में से एक का निर्माण करते हैं। "बोध्यांग" शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - "बोधि" जिसका अर्थ है "जागृति" और "अंग" जिसका अर्थ है "कारक" या "अंग"।
इन सात कारकों को विकसित और पोषित करके, हम आध्यात्मिक प्रगति कर सकते हैं, दुःख से मुक्ति पा सकते हैं और बुद्ध की तरह जागृति प्राप्त कर सकते हैं।