
क्लेश (बौद्ध धर्म)
Kleshas (Buddhism)
(In Buddhism, mental states that cloud the mind)
Summary
Kleshas: बौद्ध धर्म में मन के क्लेश (क्लेश)
Kleshas संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "कष्ट", "पीड़ा", या "क्लेश"। बौद्ध धर्म में, Kleshas उन मानसिक अवस्थाओं को दर्शाते हैं जो हमारे मन को दूषित करते हैं और हमें अनैतिक कर्मों की ओर ले जाते हैं।
Kleshas के कुछ उदाहरण हैं:
- चिंता (Anxiety): भविष्य की अनिश्चितता के बारे में अत्यधिक सोच और चिंता।
- भय (Fear): किसी वास्तविक या काल्पनिक खतरे का डर।
- क्रोध (Anger): किसी व्यक्ति या परिस्थिति के प्रति आक्रामकता और नाराजगी।
- ईर्ष्या (Jealousy): दूसरों के पास जो है उसके लिए द्वेष और असंतोष।
- वासना (Desire): सांसारिक सुखों और भौतिक वस्तुओं के प्रति तीव्र लालसा।
- अवसाद (Depression): निराशा, उदासी और रुचि की कमी की भावना।
आधुनिक बौद्ध विद्वान Kleshas का अनुवाद "क्लेश", "मनोविकार", "नकारात्मक भावनाएं", "हानिकारक भावनाएं" जैसे विभिन्न शब्दों से करते हैं।
महायान और थेरवाद परंपराओं में तीन मूल Kleshas:
- अज्ञान (Ignorance): वास्तविकता की सच्ची प्रकृति को न समझ पाना, जो दुखों का मूल कारण है।
- राग (Attachment): सुखद चीजों या अनुभवों से चिपके रहना और उनके खोने का डर।
- द्वेष (Aversion): अप्रिय चीजों या अनुभवों से दूर भागना और उनसे घृणा करना।
इन तीन मूल Kleshas को महायान परंपरा में "तीन विष" (त्रिविष) और थेरवाद परंपरा में "तीन अकुशल मूल" (अकुसलमूल) कहा जाता है।
हालाँकि, शुरुआती बौद्ध ग्रंथों (पाली कैनन) में इन तीन मूल Kleshas का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं मिलता है। लेकिन बाद में, बौद्ध धर्म में यह मान्यता स्थापित हो गई कि तीन विष ही दुखों के चक्र (संसार) का कारण हैं और सभी Kleshas इन्हीं से उत्पन्न होते हैं।