Kalpa_Sūtra

कल्प सूत्र

Kalpa Sūtra

(Jain manuscript written by Bhadrabahu)

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कल्पसूत्र: जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ

कल्पसूत्र जैन धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो मुख्य रूप से जैन तीर्थंकरों, विशेष रूप से पार्श्वनाथ और महावीर, के जीवन चरित्रों का वर्णन करता है।

रचना और रचनाकार:

  • परंपरागत रूप से कल्पसूत्र की रचना भद्रबाहु को माना जाता है।
  • यदि यह सच है, तो यह रचना चौथी शताब्दी ईसा पूर्व की होगी।
  • लेकिन, कई विद्वानों का मानना है कि यह ग्रंथ महावीर स्वामी के निर्वाण (मोक्ष) के ९८० या ९९३ वर्ष बाद लिखा गया था।

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • कल्पसूत्र जैन धर्म के पवित्र ग्रंथों के समूह "अंग" का हिस्सा है।
  • यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
  • यह ग्रंथ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पूजा और अध्ययन का महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • कल्पसूत्र में जैन धर्म के सिद्धांतों, आचार-विचार, और तीर्थंकरों के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन मिलता है।
  • पारंपरिक रूप से जैन समुदाय में वर्षा ऋतु के दौरान साधु-साध्वियां इस ग्रंथ का पाठ करते हैं।

कल्पसूत्र का प्रभाव:

  • यह ग्रंथ जैन धर्म को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करता है।
  • कल्पसूत्र के अध्ययन से जैन धर्म के इतिहास, संस्कृति, और दर्शन को जानने में सहायता मिलती है।

संक्षेप में, कल्पसूत्र जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है।


The Kalpa Sūtra is a Jain text containing the biographies of the Jain Tirthankaras, notably Parshvanatha and Mahavira. Traditionally ascribed to Bhadrabahu, which would place it in the 4th century BCE, it was probably put in writing 980 or 993 years after the Nirvana (Moksha) of Mahavira.



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