
भवन
Bhavana
(Concept in Indian religions, signifying contemplation and spiritual cultivation)
Summary
भावना: विकसित करने की कला (Cultivating the Mind)
"भावना" एक संस्कृत और पालि शब्द है जिसका अर्थ है "विकास," "खेती," या "उत्पादन" - कुछ अस्तित्व में लाने के अर्थ में। यह बौद्ध धर्म में अभ्यास (पटिपत्ति) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भावना शब्द आमतौर पर किसी अन्य शब्द के साथ मिलकर एक यौगिक वाक्यांश बनाता है, जैसे:
- चित्त-भावना: ह्रदय या मन का विकास या खेती।
- मेटा-भावना: प्रेम, करुणा, और मैत्री का विकास या खेती।
जब भावना शब्द का प्रयोग अकेले किया जाता है, तो इसका अर्थ होता है चिंतन और सामान्य रूप से आध्यात्मिक विकास।
भावना का अर्थ और महत्व:
- भावना का अर्थ है मन को प्रशिक्षित करना और सकारात्मक गुणों का विकास करना।
- यह बौद्ध अभ्यास का एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि यह दुखों से मुक्ति (निर्वाण) के मार्ग का नेतृत्व करता है।
- भावना के माध्यम से, हम अपने मन को अकुशल विचारों और भावनाओं से मुक्त कर सकते हैं और करुणा, प्रज्ञा और शांति जैसे गुणों को विकसित कर सकते हैं।
भावना के प्रकार:
बौद्ध धर्म में विभिन्न प्रकार की भावनाएँ बताई गई हैं, जिनमें शामिल हैं:
- समथ-विपश्यना: शांति और अंतर्दृष्टि विकसित करने के लिए ध्यान अभ्यास।
- ब्रह्मविहार: प्रेम, करुणा, मुदिता (दूसरों की खुशी में खुशी), और उपेक्षा (समभाव) का विकास।
- अशुभ भावना: मृत्यु और अपरिहार्यता का चिंतन करके मोह और आसक्ति को कम करना।
भावना का अभ्यास कैसे करें:
- नियमित ध्यान: ध्यान मन को शांत करने और एकाग्रता विकसित करने का एक शक्तिशाली तरीका है।
- सकारात्मक सोच और व्यवहार: अपने विचारों और कार्यों पर ध्यान दें और उन्हें दयालुता, करुणा और समझ की ओर निर्देशित करें।
- धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन: बौद्ध शिक्षाओं का अध्ययन करके आप अपने जीवन में उनका अभ्यास कैसे करें, इसके बारे में जान सकते हैं।
भावना एक सतत प्रक्रिया है जिसके लिए धैर्य, अनुशासन और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। नियमित अभ्यास के माध्यम से, हम अपने मन को बदल सकते हैं और अधिक शांति, खुशी और ज्ञान का अनुभव कर सकते हैं।