
पीति
Pīti
(Mental factor in Buddhism)
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पीति: आनंद और उत्साह का एहसास (Pīti: The Feeling of Joy and Excitement)
"पीति" एक पाली शब्द है जिसका संस्कृत में अर्थ है "प्रीति"। यह बौद्ध ध्यान में झान (ध्यान) के विकास से जुड़ा एक मानसिक कारक (पाली: चेतसिक, संस्कृत: चैतसिक) है।
पीति और सुख में अंतर:
- पीति, उत्साह, उमंग और ऊर्जा से भरपूर एक एहसास है। यह एक ऐसी खुशी है जो आपको अंदर से झकझोर देती है और आपको और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
- सुख, शांति, संतोष और स्थिरता का एहसास है। यह एक शांत और गहरी खुशी है जो आपको अंदर से शांत और तृप्त महसूस कराती है।
बुद्धदासा भिक्खु के अनुसार, पीति सुख की शांति के विपरीत एक उत्तेजक, रोमांचक और ऊर्जावान गुण है।
पीति के प्रकार:
बौद्ध ग्रंथों में पीति के पाँच प्रकार बताए गए हैं:
- छन्द पीति (छोटी पीति): यह पीति का प्रारंभिक चरण है, जो किसी वस्तु या विचार में प्रारंभिक रुचि या आकर्षण के रूप में अनुभव होती है।
- खणिक पीति (क्षणिक पीति): यह पीति अचानक और क्षणिक होती है, जैसे कोई सुखद आश्चर्य।
- ओकक्कन्तिक पीति (ऊपर उठने वाली पीति): यह पीति शरीर में एक सुखद कंपन या झुनझुनी के रूप में अनुभव होती है।
- उब्बेग पीति (प्रफुल्लित करने वाली पीति): यह पीति इतनी तीव्र होती है कि यह शरीर को हल्का महसूस कराती है, मानो आप उड़ने वाले हों।
- फरणा पीति (परिपूर्ण पीति): यह पीति का सबसे उच्च और शुद्ध रूप है, जो मन को पूरी तरह से भर देता है और गहन एकाग्रता की स्थिति में ले जाता है।
पीति का महत्व:
बौद्ध ध्यान में पीति का बहुत महत्व है क्योंकि यह:
- मन को शांत और एकाग्र करने में मदद करती है।
- आलस्य और प्रमाद को दूर भगाती है।
- ध्यान के प्रति उत्साह और प्रेरणा बनाए रखती है।
- उच्च आध्यात्मिक अनुभूतियों का द्वार खोलती है।
पीति एक ऐसी ऊर्जा है जो आपको आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ाती है और आपको निर्वाण के करीब ले जाती है।
Pīti in Pali is a mental factor associated with the development of jhāna in Buddhist meditation. According to Buddhadasa Bhikkhu, piti is a stimulating, exciting and energizing quality, as opposed to the calmness of sukha.