Upekṣā

उपेक्षा

Upekṣā

(Concept of equanimity in Buddhism)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

उपेक्खा: बौद्ध धर्म में समता का भाव

"उपेक्खा" (सिंहली: උපේක්ෂා; पालि: Upekkhā) बौद्ध धर्म में समता या स्थितप्रज्ञता का भाव है। यह चार ब्रह्मविहारों में से एक है, जो "ब्रह्मलोक" (पालि: Brahmaloka) के गुण हैं।

ब्रह्मविहार चार उदात्त मानसिक अवस्थाएँ हैं जिनका अभ्यास करके व्यक्ति ब्रह्मलोक के देवताओं के समान गुणों को विकसित कर सकता है।

उपेक्खा को कुशल (kuśala) चेतसिक (cetasika) माना जाता है, अर्थात यह एक ऐसा मानसिक कारक है जो निर्वाण के मार्ग पर चलने में सहायक होता है। ध्यान (jhāna) के अभ्यास द्वारा इस गुण को विकसित किया जाता है।

उपेक्खा का अर्थ:

उपेक्खा का अर्थ है सभी प्राणियों और परिस्थितियों के प्रति सम और संतुलित दृष्टिकोण रखना। यह आसक्ति, द्वेष, घृणा, या पक्षपात से मुक्त रहने की अवस्था है।

उपेक्खा के लाभ:

  • मानसिक शांति: उपेक्खा मन को चंचलता और अशांति से मुक्त करके शांति प्रदान करती है।
  • समझदारी: यह हमें परिस्थितियों को स्पष्टता और निष्पक्षता से देखने में मदद करती है।
  • करुणा का विकास: उपेक्खा के माध्यम से हम सभी प्राणियों के प्रति करुणा विकसित कर सकते हैं, क्योंकि यह हमें उनकी कमियों और गलतियों को क्षमा करने की क्षमता प्रदान करता है।

उपेक्खा का अभ्यास:

उपेक्खा का अभ्यास ध्यान और जागरूकता के माध्यम से किया जा सकता है। हमें अपने मन में उठने वाले विचारों और भावनाओं को बिना किसी प्रतिक्रिया के देखना सीखना चाहिए।

संक्षेप में, उपेक्खा एक महत्वपूर्ण बौद्ध गुण है जो हमें दुःखों से मुक्ति और निर्वाण प्राप्ति की ओर ले जाता है।


Upekshā is the Buddhist concept of equanimity. As one of the Brahma-viharas, virtues of the "Brahma realm", it is one of the wholesome mental factors cultivated on the Buddhist path to nirvāna through the practice of jhāna.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙