भारत के बाघ अभ्यारण्य
Tiger reserves of India
(Tiger conservation programme in India)
Summary
भारत में बाघ संरक्षण: एक विस्तृत विवरण
भारत में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में प्रारंभ की गई "प्रोजेक्ट टाइगर" के अंतर्गत बाघ अभयारण्य स्थापित किए गए थे। इन अभयारण्यों का प्रशासन भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority - NTCA) द्वारा किया जाता है।
नवंबर 2024 तक, 56 संरक्षित क्षेत्रों को बाघ अभयारण्य के रूप में नामित किया गया है। यह संख्या समय के साथ बदल सकती है क्योंकि नए अभयारण्य जोड़े जा सकते हैं या मौजूदा अभयारण्यों के सीमांकन में परिवर्तन हो सकता है। ये अभयारण्य देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में फैले हुए हैं, प्रत्येक अपनी अनूठी वनस्पति और जीव-जंतुओं से समृद्ध है। इन अभयारण्यों में बाघों के अलावा अन्य कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जिससे इनका पारिस्थितिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
वर्ष 2023 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 3,682 वन्य बाघ थे। यह विश्व की वन्य बाघों की कुल आबादी का लगभग 75% है, जो भारत के बाघ संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। हालांकि, यह संख्या अभी भी चिंता का विषय है, क्योंकि बाघों को कई खतरों का सामना करना पड़ता है जैसे अवैध शिकार, वन्यजीवों का व्यापार, आवास विनाश और मानव-वन्यजीव संघर्ष।
प्रोजेक्ट टाइगर के उद्देश्य:
- बाघों की घटती संख्या को रोकना और उनकी आबादी में वृद्धि करना।
- बाघों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- बाघों के संरक्षण के लिए जन-जागरूकता फैलाना और समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देना।
- बाघों के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान और निगरानी कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
चुनौतियाँ:
बाघों के संरक्षण में अभी भी कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जिनमें शामिल हैं:
- अवैध शिकार: यह बाघों के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
- आवास विनाश: जंगलों के कटने और मानवीय गतिविधियों के कारण बाघों का प्राकृतिक आवास कम हो रहा है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष: मानव बस्तियों के जंगलों के करीब आने से बाघों और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- वित्तीय संसाधन: बाघ संरक्षण के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन जुटाना एक बड़ी चुनौती है।
भविष्य में बाघों के संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी, प्रभावी निगरानी प्रणाली, और अवैध शिकार पर कठोर कार्रवाई जैसे उपायों को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है। केवल तभी हम भारत में बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस शानदार जीव की विरासत को सुरक्षित रख सकते हैं।