
गुणस्थान
Gunasthana
(Fourteen stages of spiritual development in Jainism)
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गुणस्थान: जैन धर्म में आत्मा की उन्नति के सोपान
जैन धर्म में, गुणस्थान आध्यात्मिक विकास के चौदह चरणों का वर्णन करते हैं। ये वो सीढ़ियाँ हैं जिन पर चढ़कर आत्मा मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करती है। गुणस्थान आत्मा की उस यात्रा को दर्शाते हैं जहाँ वह कर्मों के बंधन से मुक्त होकर पूर्ण स्वतंत्रता की ओर अग्रसर होती है।
यहाँ 'गुण' शब्द का अर्थ सामान्य नैतिक गुणों से नहीं है, बल्कि यह आत्मा के तीन मूल तत्वों - ज्ञान, दर्शन और चारित्र का प्रतीक है।
गुणस्थानों का महत्व:
- आध्यात्मिक प्रगति का मानचित्र: गुणस्थान एक प्रकार से आध्यात्मिक प्रगति का नक्शा प्रदान करते हैं, जिससे साधक अपनी वर्तमान स्थिति और लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आवश्यक प्रयासों का आंकलन कर सकता है।
- प्रेरणा और उत्साह: अपनी उन्नति को देखकर साधक को आगे बढ़ने की प्रेरणा और उत्साह मिलता है।
- सঠিক मार्गदर्शन: गुणस्थान साधक को भटकने से बचाते हैं और मोक्ष प्राप्ति के लिए सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
संक्षेप में:
गुणस्थान जैन धर्म की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो आत्मा की मुक्ति की यात्रा का सचित्र वर्णन करती है। यह एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रणाली है जो साधकों को उनके आध्यात्मिक विकास के हर चरण में मार्गदर्शन प्रदान करती है।
Guṇasthāna are the fourteen stages of spiritual development and growth through which a soul gradually passes before it attains moksha (liberation). According to Jainism, it is a state of soul from a complete dependence on karma to the state of complete dissociation from it. Here the word virtue does not mean an ordinary moral quality, but it stands for the nature of soul — knowledge, belief and conduct.