Xuanzang

ह्वेन त्सांग

Xuanzang

(7th-century Chinese Buddhist monk and scholar)

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Xuanzang: एक महान चीनी बौद्ध भिक्षु और विद्वान

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

  • जन्म: 6 अप्रैल 602 ईस्वी, चेनलीउ (वर्तमान कैफ़ेंग, हेनान प्रांत, चीन)
  • मूल नाम: चेन हुई / चेन यी (陳褘 / 陳禕)
  • संस्कृत नाम: मोक्षदेव

ज़ुआनज़ैंग, एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु, विद्वान, यात्री और अनुवादक थे, जिन्होंने 7वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

ज़ुआनज़ैंग का जन्म चीन के हेनान प्रांत में हुआ था। बचपन से ही उन्हें धार्मिक पुस्तकें पढ़ने और अपने पिता के साथ उन पर चर्चा करने का शौक था। अपने बड़े भाई की तरह, उन्होंने जिंग्टू मठ में बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण की।

तेरह वर्ष की आयु में उन्हें श्रामणेर (नौसिखिया भिक्षु) के रूप में दीक्षित किया गया। सुई वंश के पतन के बाद हुए राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के कारण, वह सिचुआन के चेंगदू चले गए, जहाँ बीस वर्ष की आयु में उन्हें भिक्षु (पूर्ण भिक्षु) के रूप में दीक्षित किया गया।

भारत यात्रा:

  • उद्देश्य: बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथों की खोज और अध्ययन
  • अवधि: 17 वर्ष (629-645 ईस्वी)

ज़ुआनज़ैंग ने बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथों की खोज में पूरे चीन की यात्रा की। अंततः, वे चांगान पहुँचे, जो उस समय तांग वंश के सम्राट ताइज़ोंग के शासन में था। वहाँ ज़ुआनज़ैंग के मन में भारत जाने की प्रबल इच्छा जागृत हुई। उन्हें फाहियान की भारत यात्रा के बारे में पता था और उनकी तरह ही, ज़ुआनज़ैंग भी चीन पहुँचे बौद्ध ग्रंथों की अपूर्णता और गलत व्याख्याओं को लेकर चिंतित थे।

ज़ुआनज़ैंग ने इन समस्याओं का समाधान खोजने के लिए भारत से मूल संस्कृत ग्रंथों को लाने का निश्चय किया। 27 वर्ष की आयु में, उन्होंने भारत की अपनी सत्रह वर्षीय यात्रा शुरू की। उन्होंने अपने देश के विदेश यात्रा पर प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए, मध्य एशियाई शहरों जैसे कि खोतान से होते हुए भारत की यात्रा की।

उन्होंने भारत में नालंदा विश्वविद्यालय सहित कई महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों का दौरा किया, जहाँ उन्होंने भिक्षु शीलभद्र से शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने बीस घोड़ों के काफ़िले पर कई संस्कृत ग्रंथों के साथ भारत से प्रस्थान किया।

वापसी और योगदान:

  • ग्रंथों का अनुवाद: ज़ुआनज़ैंग 657 भारतीय ग्रंथों को चीन लेकर आए और उनमें से कई का चीनी भाषा में अनुवाद किया।
  • महत्वपूर्ण रचना: 'ग्रेट टैंग रिकॉर्ड्स ऑन द वेस्टर्न रीजन' (चीनी यात्रा वृत्तांत)

चीन लौटने पर सम्राट ताइज़ोंग ने उनका स्वागत किया और उन्हें अपनी यात्रा का वृत्तांत लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। उनका यह यात्रा वृत्तांत न केवल ज़ुआनज़ैंग के जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करता है, बल्कि 7वीं शताब्दी में भारत और मध्य एशिया की संस्कृति और इतिहास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है।

ज़ुआनज़ैंग द्वारा किए गए कार्यों ने चीनी बौद्ध धर्म को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके द्वारा लाए गए और अनुवादित ग्रंथों ने चीनी विद्वानों को बौद्ध धर्म की गहरी समझ प्रदान की। उनके यात्रा वृत्तांत ने लोगों को भारत और उसके लोगों के बारे में जानने का अवसर प्रदान किया। आज भी, ज़ुआनज़ैंग को उनके ज्ञान, साहस और समर्पण के लिए याद किया जाता है।


Xuanzang, born Chen Hui / Chen Yi, also known by his Sanskrit Dharma name Mokṣadeva, was a 7th-century Chinese Buddhist monk, scholar, traveler, and translator. He is known for the epoch-making contributions to Chinese Buddhism, the travelogue of his journey to India in 629–645 CE, his efforts to bring over 657 Indian texts to China, and his translations of some of these texts. He was only able to translate 75 distinct sections of a total of 1335 chapters, but his translations included some of the most important Mahayana scriptures.



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