Middle_Way

मध्य मार्ग

Middle Way

(Buddhist doctrine)

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The Middle Way (मध्य मार्ग) in Buddhism: A Detailed Explanation in Hindi

"मध्य मार्ग" (मज्झिमापटिपदा) और "धर्म की शिक्षा मध्य मार्ग से" (मज्झेन धम्मं देसेति) ये दो वाक्यांश बौद्ध धर्म में बहुत महत्वपूर्ण हैं और बुद्ध के उपदेशों के दो प्रमुख पहलुओं को दर्शाते हैं।

१. आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में मध्य मार्ग:

  • "मज्झिमापटिपदा" शब्द "मार्ग" या "रास्ता" के लिए "पटिपदा" शब्द का प्रयोग करता है। यह एक ऐसे आध्यात्मिक अभ्यास की ओर इशारा करता है जो दो चरम सीमाओं से बचता है: कठोर तप और इंद्रिय भोग विलास

    • कठोर तप: यह शारीरिक कष्ट सहने और इन्द्रियों को पूरी तरह से दबाने पर ज़ोर देता है।
    • इंद्रिय भोग विलास: यह सांसारिक सुखों और इच्छाओं में अत्यधिक लिप्तता को दर्शाता है।
  • बुद्ध ने इन दोनों ही चरम सीमाओं को त्याग दिया और एक ऐसा मार्ग खोजा जो संतुलित और व्यावहारिक हो।

  • यह मार्ग "आर्य अष्टांगिक मार्ग" है, जो दुखों के अंत और निर्वाण (मोक्ष) की प्राप्ति की ओर ले जाता है।

२. धार्मिक सिद्धांतों को समझने के तरीके के रूप में मध्य मार्ग:

  • "मज्झेन धम्मं देसेति" वाक्यांश इस बात पर प्रकाश डालता है कि बुद्ध ने अपने धर्म (उपदेश) में अस्तित्व और व्यक्तिगत पहचान से जुड़े जटिल सवालों को कैसे संबोधित किया।

  • उन्होंने एकांतवाद (Eternalism) और उच्छेदवाद (Annihilationism) के बीच संतुलन बनाए रखा।

    • एकांतवाद: यह मान्यता है कि आत्मा या ब्रह्मांड शाश्वत और अपरिवर्तनशील है।
    • उच्छेदवाद: यह मान्यता है कि मृत्यु के बाद सब कुछ नष्ट हो जाता है और कोई आत्मा या पुनर्जन्म नहीं होता है।
  • बुद्ध ने इन दोनों विचारधाराओं को अस्वीकार करते हुए "प्रतीत्यसमुत्पाद" (Dependent Origination) का सिद्धांत दिया।

  • इस सिद्धांत के अनुसार, हर चीज़ एक दूसरे से जुड़ी हुई है और किसी भी चीज़ का अस्तित्व स्वतंत्र नहीं है।

संक्षेप में, मध्य मार्ग बौद्ध धर्म का एक केंद्रीय सिद्धांत है जो आध्यात्मिक अभ्यास और दार्शनिक समझ दोनों के लिए एक संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।


The Middle Way as well as "teaching the Dharma by the middle" are common Buddhist terms used to refer to two major aspects of the Dharma, that is, the teaching of the Buddha. The first phrasing, refers to a spiritual practice that steers clear of both extreme asceticism and sensual indulgence. This spiritual path is defined as the Noble Eightfold Path that leads to awakening. The second formulation refers to how the Buddha's Dharma (Teaching) approaches ontological issues of existence and personal identity by avoiding eternalism and annihilationism.



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