
बौद्ध वास्तुकला
Buddhist architecture
(Style of building)
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बौद्ध धार्मिक वास्तुकला: विस्तृत विवरण (हिंदी)
बौद्ध धार्मिक वास्तुकला का विकास भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ था। प्रारंभिक बौद्ध धर्म की स्थापत्य कला तीन प्रकार की संरचनाओं से जुड़ी हुई है:
- विहार: ये बौद्ध भिक्षुओं के रहने, अध्ययन और ध्यान करने के लिए बनाए गए आवास स्थल होते थे।
- स्तूप: ये गौतम बुद्ध या अन्य महत्वपूर्ण बौद्ध भिक्षुओं के अवशेषों को संजोकर रखने के लिए बनाए गए गुंबदनुमा ढाँचे होते थे।
- चैत्य गृह: ये प्रार्थना करने के लिए बनाए गए हॉल होते थे, जिन्हें बाद में कुछ स्थानों पर मंदिर भी कहा जाने लगा।
स्तूप:
- स्तूप का प्रारंभिक कार्य गौतम बुद्ध के अवशेषों की पूजा और सुरक्षा करना था।
- सबसे पुराना ज्ञात स्तूप बिहार के वैशाली में स्थित है, जो पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
चैत्य गृह:
- समय के साथ, धार्मिक प्रथाओं में बदलाव के साथ, स्तूपों को चैत्य-गृहों (प्रार्थना हॉल) में शामिल किया गया।
- अजंता और एलोरा की गुफाएँ (महाराष्ट्र) इनका उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर एक और प्रसिद्ध उदाहरण है।
पैगोडा:
- पैगोडा, भारतीय स्तूप का ही एक विकसित रूप है, जो मुख्य रूप से पूर्वी एशियाई देशों में पाया जाता है।
अतिरिक्त जानकारी:
- बौद्ध वास्तुकला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उस समय की कला और शिल्प कौशल का भी अद्भुत नमूना है।
- इन संरचनाओं में अक्सर सुंदर नक्काशी, मूर्तियां और चित्रकारी देखने को मिलती है, जो बौद्ध धर्म के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं।
- बौद्ध वास्तुकला का प्रभाव न केवल भारत में, बल्कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में भी देखा जा सकता है।
Buddhist religious architecture developed in the Indian subcontinent. Three types of structures are associated with the religious architecture of early Buddhism: monasteries (viharas), places to venerate relics (stupas), and shrines or prayer halls, which later came to be called temples in some places.