Bandi_Chhor_Divas

बंदी छोड़ दिवस

Bandi Chhor Divas

(Sikh celebration)

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बंदी छोड़ दिवस: एक विस्तृत विवरण

बंदी छोड़ दिवस, जिसे पंजाबी में "बंदी छोड़ दिवस" (ਬੰਦੀ ਛੋੜ ਦਿਵਸ) कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण सिख त्योहार है जो छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद और 52 हिंदू राजाओं की ग्वालियर किले से रिहाई का स्मरण करता है। मुगल बादशाह जहांगीर ने इन राजाओं को कई महीनों तक किले में कैद रखा था।

गुरु हरगोबिंद की कैद और रिहाई:

गुरु हरगोबिंद, जो सिख धर्म के छठे गुरु थे, मुगल बादशाह जहांगीर के शासनकाल में ग्वालियर किले में कैद किए गए थे। उन पर मुगल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह भड़काने का आरोप लगाया गया था। जहांगीर ने गुरु हरगोबिंद को 52 हिंदू राजाओं के साथ कैद कर रखा था, जिन्हें भी विद्रोह में शामिल होने के आरोप में कैद किया गया था।

गुरु हरगोबिंद की रिहाई:

गुरु हरगोबिंद की रिहाई 1619 में हुई थी। उन्होंने अपनी रिहाई के लिए एक शर्त रखी थी कि वे "एक मोती के बदले दो मोती" लेकर जा सकते हैं। इसका मतलब था कि वे जितने लोगों को कैद से रिहा करना चाहते हैं, उनके लिए उतने ही लोग कैद से बाहर निकलेंगे। इस शर्त के अनुसार, गुरु हरगोबिंद ने किले से 52 कैदियों को रिहा किया, जिसमें 52 राजा भी शामिल थे।

बंदी छोड़ दिवस का महत्व:

बंदी छोड़ दिवस सिख धर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गुरु हरगोबिंद के साहस, बहादुरी और मुक्ति के प्रतीक है। यह दिन सिख समुदाय को याद दिलाता है कि अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना और न्याय के लिए आवाज उठाना महत्वपूर्ण है।

बंदी छोड़ दिवस का उत्सव:

बंदी छोड़ दिवस अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है। यह त्योहार पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों में मनाए जाने वाले हिंदू त्योहार दिवाली के साथ अक्सर मेल खाता है। इस दिन सिख समुदाय अपने घरों और गुरुद्वारों को रोशनी से सजाते हैं। यह दिन नगर कीर्तन (धार्मिक जुलूस), लंगर (सामूहिक भोजन) और अन्य उत्सवों के साथ मनाया जाता है।

बंदी छोड़ दिवस का इतिहास:

बंदी छोड़ दिवस को सिख धर्म के तीसरे गुरु, गुरु अमर दास के समय से ही मनाया जाता रहा है। उस समय सिख और हिंदू समुदाय दिवाली, वैशाखी और अन्य त्योहारों के अवसर पर गुरुओं के आश्रम में इकट्ठा होते थे। 2003 में, सिख धार्मिक नेताओं और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने प्रोफेसर किरपाल सिंह बदुंगर के नेतृत्व में आधिकारिक रूप से इस दिन को नानकशाही कैलेंडर में शामिल किया।

निष्कर्ष:

बंदी छोड़ दिवस एक महत्वपूर्ण सिख त्योहार है जो गुरु हरगोबिंद की रिहाई और मुक्ति का स्मरण करता है। यह दिन सिख धर्म के मूल्यों, जैसे साहस, बहादुरी और न्याय के लिए लड़ाई को दर्शाता है। इस दिन सिख समुदाय अपनी धार्मिक परंपराओं को जीवंत रखते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशी का आदान-प्रदान करते हैं।


Bandi Chhor Divas is a Sikh celebration commemorating the day the sixth Guru of Sikhs, Guru Hargobind and 52 Hindu Kings were released from Gwalior Fort, who had been imprisoned by Mughal Emperor Jahangir. Emperor Jahangir had held 52 Kings at the Gwalior Fort for several months. Gurdwara Data Bandi Chhor Sahib is located at the place of the Guru's internment in the Fort. The day falls in autumn and often overlaps with Hindu Diwali, the festival of lights celebrated across Punjab and the rest of India. Historically, from the time of the third Sikh Guru Amar Das, Sikhs and Hindus of the time used the occasion of Diwali, Vaisakhi and other such festivals to congregate at the seat of the Gurus. In 2003, Sikh religious leaders and the Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee led by Prof. Kirpal Singh Badungar formally adopted this day into the Nanakshahi calendar.



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