Sinhalese_Buddhist_nationalism

सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद

Sinhalese Buddhist nationalism

(Political ideology in Sri Lanka)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद: सरल व्याख्या और विस्तृत जानकारी

सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद श्रीलंका में एक राजनीतिक विचारधारा है जो सिंहली संस्कृति और जातीयता (राष्ट्रवाद) के साथ थेरवाद बौद्ध धर्म पर जोर देती है। थेरवाद बौद्ध धर्म श्रीलंका में अधिकांश सिंहली लोगों का प्रमुख धर्म है। यह विचारधारा ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा श्रीलंका के उपनिवेशीकरण की प्रतिक्रिया में पुनर्जीवित हुई और देश की स्वतंत्रता के बाद के वर्षों में तेजी से मुखर होती गई।

यहाँ इस विचारधारा को समझने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं:

  • सिंहली संस्कृति और पहचान: यह विचारधारा सिंहली भाषा, साहित्य, कला और परंपराओं को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। यह सिंहली लोगों को श्रीलंका का "मूल निवासी" मानता है और उनकी संस्कृति को राष्ट्रीय पहचान का आधार मानता है।
  • थेरवाद बौद्ध धर्म: सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद थेरवाद बौद्ध धर्म को श्रीलंका की राष्ट्रीय पहचान का एक अभिन्न अंग मानता है। यह बौद्ध धर्म के संरक्षण और प्रचार को राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है।
  • ब्रिटिश उपनिवेशवाद की प्रतिक्रिया: ब्रिटिश शासन के दौरान श्रीलंका में ईसाई धर्म और पश्चिमी संस्कृति का प्रसार हुआ जिससे सिंहली बौद्ध पहचान को खतरा महसूस होने लगा। इस खतरे की प्रतिक्रियास्वरुप सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद का उदय हुआ।
  • महावंश का प्रभाव: 6 वीं शताब्दी में रचित महावंश, एक प्रमुख पाली इतिहास ग्रंथ, सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। यह ग्रंथ सिंहली लोगों को बुद्ध के उपदेशों का संरक्षक और श्रीलंका को "धम्मदीपा" (धर्म की भूमि) के रूप में प्रस्तुत करता है।

महत्वपूर्ण: यह ध्यान रखना जरूरी है कि सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद एक जटिल विचारधारा है जिसके अलग-अलग पहलू और व्याख्याएँ हैं। इसके कुछ रूप अहिंसक और समावेशी हैं, जबकि दूसरे अधिक आक्रामक और बहिष्कारवादी हैं।


Sinhalese Buddhist nationalism is a Sri Lankan political ideology which combines a focus upon Sinhalese culture and ethnicity (nationalism) with an emphasis upon Theravada Buddhism, which is the majority belief system of most of the Sinhalese in Sri Lanka. It mostly revived in reaction to the colonisation of Sri Lanka by the British Empire and became increasingly assertive in the years following the independence of the country.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙