Nichiren

निचिरेन

Nichiren

(Japanese Buddhist priest and philosopher)

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निचिरेन: एक महान बौद्ध भिक्षु और दार्शनिक (विस्तृत हिंदी विवरण)

निचिरेन (१६ फरवरी १२२२ - १३ अक्टूबर १२८२) कामकुरा काल के एक प्रसिद्ध जापानी बौद्ध भिक्षु और दार्शनिक थे। उनके उपदेशों ने निचिरेन बौद्ध धर्म की नींव रखी, जो महायान बौद्ध धर्म की एक शाखा है।

मुख्य उपदेश:

  • केवल लोटस सूत्र ही सर्वोच्च सत्य: निचिरेन ने घोषित किया कि केवल लोटस सूत्र में ही बौद्ध धर्म के सर्वोच्च सत्य निहित हैं जो बौद्ध धर्म के तीसरे युग (मप्पो) के लिए उपयुक्त हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जापान के शासक और उसकी प्रजा को केवल इसी रूप में बौद्ध धर्म का समर्थन करना चाहिए और अन्य सभी रूपों का त्याग करना चाहिए।
  • नाम-म्योहो-रेंगे-क्यो का जप: निचिरेन ने "नाम-म्योहो-रेंगे-क्यो" मंत्र के निरंतर जप को बुद्धत्व प्राप्ति का एकमात्र मार्ग बताया।
  • सभी के लिए बुद्धत्व: उन्होंने यह भी कहा कि शाक्यमुनि बुद्ध और अन्य सभी बौद्ध देवता, एक विशेष बुद्ध-प्रकृति ("म्योहो-रेंगे") के असाधारण प्रकटीकरण थे जो सभी के लिए समान रूप से सुलभ है।
  • उत्पीड़न में भी प्रचार: निचिरेन ने यह स्पष्ट किया कि सूत्र में विश्वास करने वालों को उत्पीड़न का सामना करते हुए भी इसका प्रचार करना चाहिए।

जीवन और विरासत:

  • निचिरेन एक विपुल लेखक थे और उनकी जीवनी, स्वभाव और उनके विश्वासों का विकास मुख्य रूप से उनके लेखन से ही जाना जाता है।
  • उन्होंने स्वयं को जोग्यो बोधिसत्व का पुनर्जन्म बताया और छह वरिष्ठ शिष्यों को नियुक्त किया, हालांकि उनके उत्तराधिकार के दावों पर विवाद है।
  • उनकी मृत्यु के बाद, सम्राट गो-कोगोन ने १३५८ में उन्हें "निचिरेन दाई-बोसात्सु" (महान बोधिसत्व निचिरेन) की उपाधि से सम्मानित किया।
  • १९२२ में, सम्राट ताइशो ने शाही आदेश द्वारा मरणोपरांत उन्हें "रिशो डैशी" (शुद्धिकरण के महान शिक्षक) की उपाधि प्रदान की।

आधुनिक निचिरेन बौद्ध धर्म:

आज निचिरेन बौद्ध धर्म में पारंपरिक मंदिर सम्प्रदाय जैसे निचिरेन-शु और निचिरेन शोशु, और साथ ही सोका गक्कई, रिशो कोसेई काई, रीयूकाई, केंशोकाई, होनमोन बुत्सुरियु-शु, केम्पोन होक्के और शोशिंकाई जैसे अनेक आंदोलन शामिल हैं।

प्रत्येक समूह के पास निचिरेन की शिक्षाओं की अलग-अलग व्याख्याएं हैं, और निचिरेन की पहचान को लेकर अलग-अलग दावे हैं, जिसमें उन्हें बोधिसत्व विशिष्टचारित्र का पुनर्जन्म या तीसरे युग के आदि या "सच्चे बुद्ध" ("होनबुत्सु") तक बताया जाता है।


Nichiren was a Japanese Buddhist priest and philosopher of the Kamakura period. His teachings form the basis of Nichiren Buddhism, a branch of Mahayana Buddhism.



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