
नागार्जुन
Nagarjuna
(3rd-century Indian Buddhist philosopher)
Summary
Info
Image
Detail
Summary
नागार्जुन: एक महान बौद्ध दार्शनिक
नागार्जुन (लगभग 150 - 250 ईस्वी) एक भारतीय महायान बौद्ध दार्शनिक और भिक्षु थे जो माध्यमिक (मध्यम मार्ग) विचारधारा से जुड़े थे। उन्हें बौद्ध धर्म के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों में से एक माना जाता है। जॉन वेस्टरहॉफ उन्हें "एशियाई दर्शन के इतिहास में सबसे महान विचारकों में से एक" मानते हैं।
प्रमुख योगदान:
- माध्यमिक दर्शन के संस्थापक: नागार्जुन को व्यापक रूप से माध्यमिक बौद्ध दर्शन का संस्थापक माना जाता है, जो 'शून्यता' (emptiness) की अवधारणा पर केन्द्रित है।
- महायान आंदोलन के समर्थक: नागार्जुन महायान बौद्ध आंदोलन के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रमुख रचना:
- मूलमध्यमकारिका (MMK): 'मध्यमक पर मूल छंद' नागार्जुन की सबसे महत्वपूर्ण रचना मानी जाती है जो शून्यता के सिद्धांत की गहन व्याख्या प्रस्तुत करती है।
MMK का प्रभाव:
MMK ने संस्कृत, चीनी, तिब्बती, कोरियाई और जापानी भाषाओं में कई टीकाओं को प्रेरित किया और आज भी इसका अध्ययन पूरी दुनिया में किया जाता है।
निष्कर्ष:
नागार्जुन एक महान बौद्ध दार्शनिक थे जिन्होंने माध्यमिक दर्शन और महायान आंदोलन को नई दिशा दी। उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और बौद्ध धर्म के अध्ययन में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
Nāgārjuna [c. 150 – c. 250 CE (disputed)] was an Indian Mahāyāna Buddhist philosopher monk of the Madhyamaka school. He is widely considered one of the most important Buddhist philosophers. Jan Westerhoff considers him to be "one of the greatest thinkers in the history of Asian philosophy."