
सारनाथ
Sarnath
(Historical city in Uttar Pradesh, India)
Summary
सारनाथ: बुद्ध धर्म का पवित्र स्थल (Sarnath: A Sacred Place for Buddhists)
सारनाथ, जिसे सारंगनाथ, इसिपत्तन, ऋषिपत्तन, मृगदाय या मृगदाव भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में वाराणसी से 10 किलोमीटर (6.2 मील) उत्तर-पूर्व में स्थित है, जहाँ गंगा और वरुणा नदियाँ मिलती हैं।
बुद्ध के जीवन में सारनाथ का महत्व (The Significance of Sarnath in Buddha's Life):
बौद्ध परंपरा के अनुसार, सारनाथ वह स्थान है जहाँ लगभग 528 ईसा पूर्व में, 35 वर्ष की आयु में, गौतम बुद्ध ने बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश दिया था। यह परंपरागत रूप से उस स्थान के रूप में भी जाना जाता है जहाँ बुद्ध के पहले पाँच शिष्यों (कौण्डिन्य, अस्साजी, भद्दिय, वप्पा और महानामा) के ज्ञान प्राप्त करने के फलस्वरूप बौद्ध संघ की स्थापना हुई थी।
चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक (One of the Four Main Pilgrimage Sites):
महापरिनिब्बान सुत्त (दीघ निकाय का सुत्त 16) के अनुसार, बुद्ध ने सारनाथ का उल्लेख उन चार तीर्थ स्थलों में से एक के रूप में किया था जहाँ उनके भक्त अनुयायियों को जाना चाहिए और श्रद्धा की भावना के साथ देखना चाहिए। अन्य तीन स्थल हैं - लुम्बिनी (बुद्ध का पारंपरिक जन्मस्थान), बोधगया (जहां बौद्ध कहते हैं कि बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था) और कुशीनगर (जहां बौद्ध कहते हैं कि बुद्ध ने परिनिर्वाण प्राप्त किया था)।
सारनाथ का विस्तृत वर्णन (Detailed Description of Sarnath):
सारनाथ एक शांत और पवित्र स्थान है जहाँ बौद्ध धर्म के अनुयायी ध्यान और चिंतन के लिए आते हैं। यहाँ धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप, मूलगंध कुटी विहार और सारनाथ पुरातत्व संग्रहालय जैसे कई महत्वपूर्ण बौद्ध स्मारक हैं। यह स्थल बौद्ध धर्म के इतिहास और शिक्षाओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
हिंदी में सारांश (Summary in Hindi):
सारनाथ बुद्ध धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहीं पर भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था और बौद्ध संघ की स्थापना हुई थी। यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ध्यान, चिंतन और श्रद्धा का केंद्र है।