
बाबा फ़रीद
Baba Farid
(Punjabi Muslim preacher and mystic (c. 1188 – 1266))
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बाबा फरीद: एक प्रसिद्ध सूफी संत
बाबा फरीद, जिन्हें शेख फरीद के नाम से भी जाना जाता है, एक 13वीं सदी के पंजाबी मुस्लिम उपदेशक, कवि और रहस्यवादी थे। 4 अप्रैल 1173 में जन्मे और 7 मई 1266 में इस दुनिया से विदा हुए, बाबा फरीद मध्ययुगीन भारत और इस्लामिक स्वर्णिम युग के सबसे सम्मानित और पूजनीय मुस्लिम रहस्यवादियों में से एक हैं। पंजाबी मुस्लिमों, हिंदुओं और सिखों सभी द्वारा उन्हें समान रूप से पूजा जाता है।
बाबा फरीद का जीवन:
- जन्म: 4 अप्रैल 1173 को पंजाब के कुणाल गांव में हुआ।
- परिवार: उनके पिता, शेख जमालुद्दीन, एक धनी और प्रतिष्ठित व्यक्ति थे जो व्यापार में शामिल थे।
- शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की और फिर आगे की शिक्षा के लिए शेख उस्मान हरवी से हासिल की।
- सूफी शिक्षा: उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय सूफी शिक्षा में लगाया और सूफी रहस्यवाद के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन किया।
- संतत्व: अपनी गहरी आध्यात्मिक समझ और उपदेशों के कारण, उन्हें जल्द ही एक संत के रूप में मान्यता मिल गई।
- उपदेश: उन्होंने हिंसा, अहंकार, और भौतिकवादी जीवन को त्यागने का उपदेश दिया।
- काव्य: उन्होंने पंजाबी भाषा में काव्य लिखे, जो उनकी शिक्षाओं और आध्यात्मिक अनुभवों को व्यक्त करते हैं। उनके काव्य को आज भी पंजाब में प्रेम और भक्ति के लिए जाना जाता है।
- मृत्यु: 7 मई 1266 को पंजाब के पाकपटन शहर में उनकी मृत्यु हुई।
बाबा फरीद की शिक्षाएँ:
- प्रेम और भक्ति: उनकी शिक्षाओं का केंद्रबिंदु प्रेम और भक्ति थी, जिसमें ईश्वर के प्रति समर्पण और मानवता के प्रति दयालुता पर जोर दिया गया था।
- सामाजिक न्याय: उन्होंने सामाजिक न्याय, गरीबों और कमजोरों की सहायता और सभी जीवों के प्रति करुणा का प्रचार किया।
- सार्वभौमिकता: उनकी शिक्षाओं ने सभी धर्मों और जातियों के लोगों के बीच एकता और सद्भाव को बढ़ावा दिया।
बाबा फरीद का प्रभाव:
- पंजाबी साहित्य: उनके काव्य ने पंजाबी साहित्य को समृद्ध किया और कई कवियों और लेखकों को प्रभावित किया।
- सूफी आंदोलन: उन्होंने सूफी आंदोलन को भारत में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- धार्मिक सामंजस्य: उनकी शिक्षाओं ने हिंदुओं, मुस्लिमों और सिखों के बीच धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
बाबा फरीद की विरासत:
आज भी, बाबा फरीद को पंजाब के लोगों द्वारा एक महान संत और शिक्षक के रूप में पूजा जाता है। उनकी शिक्षाएँ और काव्य आज भी प्रासंगिक हैं और हमें प्रेम, भक्ति, दया और सामाजिक न्याय के महत्व की याद दिलाते हैं।
Farīd al-Dīn Mas'ūd Ganj-i Shakar, commonly known as Bābā Farīd or Shaykh Farīd, was a 13th-century Punjabi Muslim preacher, poet and mystic, who remains one of the most revered and esteemed Muslim mystics of the Medieval India and the Islamic Golden age. He is revered by Punjabi Muslims, Hindus and Sikhs alike.