Kanji_Swami

कांजी स्वामी

Kanji Swami

(Jain scholar, philosopher and spiritual leader)

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कंजी स्वामी : एक जैन धर्म गुरु

कंजी स्वामी (1890-1980) जैन धर्म के एक प्र renowned गुरु थे। वे कुंदकुंद रचित "समयसार" से अत्यधिक प्रभावित थे, जिसका अध्ययन उन्होंने 1932 में किया था। उन्होंने कुंदकुंद और अन्य आचार्यों द्वारा वर्णित दर्शन को विस्तार से समझाने के लिए 45 वर्षों तक प्रवचन दिए। उनके धार्मिक उपदेशों और दर्शन से प्रभावित होकर लोगों ने उन्हें "काठियावाड़ का कोहिनूर" की उपाधि दी थी।

आइए कंजी स्वामी के बारे में विस्तार से जानते हैं:

  • प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: कंजी स्वामी का जन्म 1890 में हुआ था।
  • समयसार का प्रभाव: 1932 में उन्होंने आचार्य कुंदकुंद द्वारा रचित "समयसार" का गहन अध्ययन किया। यह ग्रन्थ जैन दर्शन, विशेषकर आत्मा और मोक्ष की प्राप्ति के विषय में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • 45 वर्षों तक प्रवचन: कंजी स्वामी ने समयसार और अन्य जैन ग्रंथों के आधार पर 45 वर्षों तक निरंतर प्रवचन दिए। उनके प्रवचन सरल, बोधगम्य और व्यावहारिक होते थे।
  • काठियावाड़ का कोहिनूर: उनके ज्ञान, सरलता और प्रभावशाली व्यक्तित्व से प्रभावित होकर लोगों ने उन्हें "काठियावाड़ का कोहिनूर" की उपाधि दी। कोहिनूर एक अमूल्य हीरा होता है, इसी प्रकार कंजी स्वामी को भी ज्ञान का अमूल्य रत्न माना जाता था।
  • योगदान: कंजी स्वामी ने जैन धर्म के प्रचार और प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रवचनों ने लोगों को जैन दर्शन को समझने और जीवन में उतारने में मदद की।

कंजी स्वामी जैन धर्म के एक महान गुरु थे, जिन्होंने अपने ज्ञान और प्रवचनों से लाखों लोगों को प्रभावित किया।


Kanji Swami (1890–1980) was a teacher of Jainism. He was deeply influenced by the Samayasāra of Kundakunda in 1932. He lectured on these teachings for 45 years to comprehensively elaborate on the philosophy described by Kundakunda and others. He was given the title of "Koh-i-Noor of Kathiawar" by the people who were influenced by his religious teachings and philosophy.



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