Battle_of_Muktsar

मुक्तसर की लड़ाई

Battle of Muktsar

(1705 conflict in the Mughal-Sikh Wars)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

श्री मुक्तसर साहिब की लड़ाई: एक विस्तृत विवरण

श्री मुक्तसर साहिब की लड़ाई, जिसे खिद्राणे दी धाब के नाम से भी जाना जाता है, 29 दिसंबर 1705 (29 पौष) को हुई थी। यह लड़ाई आनंदपुर साहिब की घेराबंदी के तुरंत बाद हुई थी।

आनंदपुर साहिब की घेराबंदी:

1704 में, आनंदपुर साहिब मुगल सेना और शिवालिक पहाड़ी राज्यों के संयुक्त बलों के द्वारा एक लंबे समय से घेरे में था। इस घेराबंदी ने सिखों पर बहुत दबाव डाला था, और उनके नेता, दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी, अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए मुगल शासक औरंगजेब से बातचीत करने का प्रयास कर रहे थे।

मुगल धोखा:

हालांकि, मुगलों ने सिखों से विश्वासघात किया और उनके साथ एक समझौता किया जिसमें उन्होंने आनंदपुर साहिब से शांतिपूर्वक प्रस्थान करने का वादा किया था। लेकिन मुगलों ने अपने वादे को तोड़ा और सिखों पर हमला कर दिया।

श्री मुक्तसर साहिब में लड़ाई:

इस विश्वासघात से गुस्से में आकर सिखों ने मुगलों का सामना करने का फैसला किया। 29 दिसंबर, 1705 को, दोनों सेनाएं श्री मुक्तसर साहिब के पास एक मैदान में आमने-सामने आ गईं। इस लड़ाई में सिखों ने असाधारण साहस और बहादुरी दिखाई।

सिखों की शहादत:

सिख योद्धाओं ने मुगल सेना पर भारी पड़ गए। हालांकि, संख्या में भारी अंतर के कारण, कई सिख योद्धा शहीद हो गए। इनमें से कुछ प्रमुख शहीदों में माता गुजरी जी (गुरु गोबिंद सिंह जी की माता), माता सुंदरी जी (गुरु गोबिंद सिंह जी की पत्नी), और श्रीमान सिंह और माता साहिबदेव जी (गुरु गोबिंद सिंह जी के दो पुत्र) शामिल थे।

सिख विजय:

हालांकि कई सिख योद्धा शहीद हो गए, लेकिन सिखों ने मुगलों को परास्त कर दिया। यह युद्ध सिखों के लिए एक बड़ी जीत थी, जिसने उनके धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बचाया। यह युद्ध सिखों के साहस, त्याग और धर्म के लिए लड़ने की भावना का प्रतीक बन गया।

सिख इतिहास में महत्व:

श्री मुक्तसर साहिब की लड़ाई सिख इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। इस लड़ाई ने सिखों के लिए एक नया अध्याय शुरू किया और उन्हें एक राष्ट्र के रूप में एकजुट करने में मदद की। यह लड़ाई आज भी सिखों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह उनकी बलिदान और साहस की कहानी को याद दिलाता है।


The Battle of Sri Muktsar Sahib (Muktsar) or Battle of Khidrāne Dee Dhāb took place on 29 December 1705, (29 Poh) following the siege of Anandpur Sahib. In 1704, Anandpur Sahib was under an extended siege by the allied forces of the Mughals and the Hill States of Shivalik.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙