Shikantaza

शिकनताज़ा

Shikantaza

(Japanese translation of a Chinese term for zazen)

Summary
Info
Image
Detail

Summary

शिकंतजा: ध्यान का एक जापानी ज़ेन तरीका

"शिकंतजा" एक जापानी शब्द है जो चीनी वाक्यांश "ज़िगुआन दाज़ुओ" (只管打坐) से आया है, जिसका अर्थ है "बस बैठो"। यह शब्द ध्यान के एक खास तरीके को दर्शाता है जिसे "मौन रोशनी" या "शांत प्रतिबिंब" कहा जाता है। इस तरीके को चीन में काओडोंग ज़ेन परंपरा के गुरु होंगज़ी झेंगजुए (1091-1157) ने सिखाया था।

जापान में, शिकंतजा ज़ेन सोतो सम्प्रदाय से जुड़ा है। इस ध्यान तकनीक में, अभ्यासकर्ता किसी खास वस्तु (जैसे श्वास) पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं। बल्कि, वे जागरूकता की स्थिति में "बस बैठते" हैं।

यहां शिकंतजा के बारे में कुछ और जानकारी दी गई है:

  • उद्देश्य: शिकंतजा का उद्देश्य मन को शांत करना और "बंदर मन" (चंचल विचारों की निरंतर धारा) से मुक्त होना है। इस शांति के माध्यम से, व्यक्ति अपनी वास्तविक प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ अपने संबंध का अनुभव कर सकता है।
  • अभ्यास: शिकंतजा अभ्यास में आम तौर पर एक सीधी पीठ के साथ ध्यान मुद्रा में बैठना शामिल होता है। आंखें आधी खुली या बंद हो सकती हैं। ध्यान केंद्रित करने के लिए कोई विशेष वस्तु नहीं है; इसके बजाय, अभ्यासकर्ता अपने आसपास के वातावरण, अपनी श्वास और अपने विचारों और भावनाओं सहित सभी चीजों के प्रति जागरूक रहता है। जब विचार उठते हैं, तो उन्हें जज किए बिना या उनमें उलझे बिना बस देखा जाता है।
  • लाभ: नियमित शिकंतजा अभ्यास से तनाव में कमी, एकाग्रता में सुधार, भावनात्मक स्थिरता और आत्म-जागरूकता बढ़ सकती है। यह व्यक्ति को वर्तमान क्षण में पूरी तरह से उपस्थित रहने में भी मदद करता है।

शिकंतजा एक सरल लेकिन गहरा ध्यान अभ्यास है जो सभी के लिए सुलभ है। यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें धैर्य, अनुशासन और खुले मन की आवश्यकता होती है।


Shikantaza (只管打坐) is Dogen's Japanese translation of the Chinese phrase zhǐguǎn dǎzuò, "just sitting." The phrase was used by his teacher Rujing, a monk of the Caodong school of Chan Buddhism, to refer to the meditation-practice called "Silent Illumination", or "Serene Reflection," taught by the Caodong master Hongzhi Zhengjue (1091–1157). In Japan, it is associated with the Zen Soto school. In shikantaza one does not focus attention on a specific object ; instead, practitioners "just sit" in a state of conscious awareness.



...
...
...
...
...
An unhandled error has occurred. Reload 🗙