
अज़ान मुन
Ajahn Mun
(Thai Buddhist monk)
Summary
भन्ते बुद्धिदत्त - थाईलैंड के वन परंपरा के प्रणेता
यह लेख भन्ते बुद्धिदत्त, एक थाई बौद्ध भिक्षु, के बारे में है जिन्होंने थाईलैंड में थेरवाद बौद्ध धर्म की एक नई परंपरा स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मूल जानकारी:
- नाम: भन्ते बुद्धिदत्त (थाई: มั่น ภูริทตฺโต)
- जीवनकाल: 1870 - 1949
- जन्मस्थान: इसान क्षेत्र, थाईलैंड
- गुरु: आजान साओ कनतासीलो
- उपलब्धि: थाई वन परंपरा या कम्मट्ठाना परंपरा के संस्थापकों में से एक
भन्ते बुद्धिदत्त का जीवन और कार्य:
भन्ते बुद्धिदत्त का जन्म 1870 में थाईलैंड के इसान क्षेत्र में हुआ था। उनके गुरु, आजान साओ कनतासीलो, थेरवाद बौद्ध धर्म में ध्यान और साधना पर जोर देने के लिए जाने जाते थे। भन्ते बुद्धिदत्त ने अपने गुरु से कठोर साधना सीखी और जल्द ही ध्यान में निपुणता हासिल कर ली।
अपने गुरु के साथ मिलकर, भन्ते बुद्धिदत्त ने थाईलैंड में बौद्ध धर्म की एक नई परंपरा, "थाई वन परंपरा" या "कम्मट्ठाना परंपरा" की नींव रखी। यह परंपरा बुद्ध के मूल उपदेशों पर आधारित है और ध्यान, साधना और विपश्यना को विशेष महत्व देती है। भन्ते बुद्धिदत्त ने अपना जीवन सादगी और साधना में बिताया और वन में रहकर ध्यान करने पर जोर दिया।
भन्ते बुद्धिदत्त एक करिश्माई शिक्षक थे और उनके उपदेशों ने हजारों लोगों को प्रभावित किया। उनके शिष्यों ने थाईलैंड और अन्य देशों में कम्मट्ठाना परंपरा का प्रसार किया। आज यह परंपरा दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है और लाखों लोग ध्यान और साधना के लिए इस मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं।
कम्मट्ठाना परंपरा की मुख्य विशेषताएं:
- ध्यान और साधना पर जोर
- सादा जीवन और सादगी
- बुद्ध के मूल उपदेशों का पालन
- विपश्यना ध्यान का अभ्यास
- गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व
भन्ते बुद्धिदत्त थाईलैंड के एक महान बौद्ध भिक्षु थे जिन्होंने थेरवाद बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके द्वारा स्थापित कम्मट्ठाना परंपरा आज भी लाखों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान कर रही है।