
ब्राह्मण
Brahmin
(Varna (class) in Hinduism, one of four castes)
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ब्राह्मण: हिन्दू समाज में एक वर्ण और जाति
ब्राह्मण (संस्कृत: ब्राह्मण, उच्चारण: ब्राह्मण) हिन्दू समाज में एक वर्ण के साथ-साथ एक जाति भी है। अन्य तीन वर्ण क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हैं।
पारंपरिक भूमिका:
- पुरोहित, पंडित या पुजारी: ब्राह्मणों का पारंपरिक व्यवसाय हिन्दू मंदिरों में या सामाजिक-धार्मिक समारोहों में पुरोहित, पंडित, या पुजारी के रूप में पूजा-अर्चना करना होता है।
- संस्कार कर्म: वे विभिन्न संस्कारों, जैसे विवाह, उपनयन आदि, को मंत्रों और प्रार्थनाओं के साथ संपन्न कराते हैं।
सामाजिक स्थिति:
- उच्चतम स्थान: पारंपरिक रूप से, ब्राह्मणों को चार वर्णों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।
- धार्मिक गुरु: वे आध्यात्मिक शिक्षक (गुरु या आचार्य) के रूप में भी कार्य करते हैं।
वास्तविकता:
- विभिन्न व्यवसाय: प्राचीन भारतीय ग्रंथों से पता चलता है कि कुछ ब्राह्मणों ने ऐतिहासिक रूप से खेती, युद्ध, व्यापार जैसे अन्य व्यवसाय भी अपनाए थे।
विस्तार से:
- वेदों के ज्ञाता: ब्राह्मणों को वेदों का ज्ञान रखने वाला और समाज को धार्मिक मार्गदर्शन प्रदान करने वाला माना जाता है।
- शिक्षा का प्रसार: प्राचीन काल में शिक्षा का प्रसार मुख्यतः गुरुकुलों के माध्यम से होता था, जहाँ गुरु प्रायः ब्राह्मण होते थे।
- यज्ञ और अनुष्ठान: यज्ञ, हवन, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न कराने का कार्य भी ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है।
- ज्योतिष और आयुर्वेद: ज्योतिष और आयुर्वेद का ज्ञान रखने वाले विद्वान भी अक्सर ब्राह्मण समुदाय से ही आते थे।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वर्ण व्यवस्था प्राचीन भारत में जन्म पर आधारित थी, जबकि आधुनिक भारत में जाति व्यवस्था अधिक प्रचलित है जो कई बार भेदभाव का कारण बनती है।
Brahmin is a varna as well as a caste within Hindu society. The other three varnas are the Kshatriya, Vaishya, and Shudra. The traditional occupation of Brahmins is that of priesthood at Hindu temples or at socio-religious ceremonies, and the performing of rite of passage rituals, such as solemnising a wedding with hymns and prayers.