Kanishka

कनिष्क

Kanishka

(Kushan emperor (c. 127–150))

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कनिष्क प्रथम: एक विस्तृत विवरण (Kanishka I: A Detailed Description in Hindi)

कनिष्क प्रथम, कुषाण वंश के एक महान सम्राट थे। उनके शासनकाल (लगभग 127-150 ईस्वी) में कुषाण साम्राज्य अपने चरम पर पहुँच गया था। कनिष्क अपनी सैन्य शक्ति, राजनीतिक कुशलता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए प्रसिद्ध थे।

वंश और साम्राज्य:

  • कनिष्क, कुजुल कडफिसेस के वंशज थे, जिन्होंने कुषाण साम्राज्य की स्थापना की थी।
  • उनके शासनकाल में कुषाण साम्राज्य मध्य एशिया और गांधार से लेकर गंगा के मैदान में पाटलिपुत्र तक फैला हुआ था।
  • उनकी राजधानी गांधार के पुरुषपुर (पेशावर) में स्थित थी। मथुरा उनके साम्राज्य का एक अन्य महत्वपूर्ण केंद्र था।
  • त्रिपुरी (वर्तमान जबलपुर) में भी कनिष्क के सिक्के मिले हैं, जो उनके विशाल साम्राज्य का प्रमाण देते हैं।

धार्मिक महत्व:

  • हालाँकि कनिष्क ने कभी भी बौद्ध धर्म नहीं अपनाया, लेकिन उनके शासनकाल में बौद्ध धर्म को बहुत प्रोत्साहन मिला।
  • उनकी विजयों और संरक्षण ने सिल्क रोड के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे बौद्ध धर्म का प्रसार गांधार से काराकोरम पर्वत श्रृंखला को पार करके चीन तक पहुँच सका।

प्रशासन और भाषा:

  • कनिष्क ने लगभग 127 ईस्वी में यूनानी भाषा के स्थान पर बैक्ट्रियन भाषा को अपने साम्राज्य की आधिकारिक भाषा बनाया।

शक संवत:

  • पहले इतिहासकारों का मानना था कि कनिष्क 78 ईस्वी में सिंहासन पर बैठे थे और इसी तिथि को शक संवत का आरंभ माना जाता था।
  • हालांकि, अब इतिहासकार इस तिथि को कनिष्क के राज्यारोहण की तिथि नहीं मानते हैं।
  • फाल्क नामक इतिहासकार का अनुमान है कि कनिष्क ने 127 ईस्वी में राजगद्दी संभाली थी।

निष्कर्ष:

कनिष्क प्रथम एक महान सम्राट थे जिन्होंने अपने शासनकाल में कुषाण साम्राज्य को वैभव के शिखर पर पहुँचाया। वे अपनी सैन्य उपलब्धियों, कुशल प्रशासन और धार्मिक सहिष्णुता के लिए आज भी याद किए जाते हैं।


Kanishka I, Kanishka or Kanishka the Great was an emperor of the Kushan dynasty, under whose reign the empire reached its zenith. He is famous for his military, political, and spiritual achievements. A descendant of Kujula Kadphises, founder of the Kushan empire, Kanishka came to rule an empire extending from Central Asia and Gandhara to Pataliputra on the Gangetic plain. The main capital of his empire was located at Puruṣapura (Peshawar) in Gandhara, with another major capital at Mathura. Coins of Kanishka were found in Tripuri.



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