
पद्मनाभ जैनी
Padmanabh Jaini
(Indian-born American scholar of Jainism and Buddhism (1923–2021))
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पद्मनाभ श्रीवर्मा जैनी : एक महान जैन और बौद्ध विद्वान
पद्मनाभ श्रीवर्मा जैनी (२३ अक्टूबर १९२३ - २५ मई २०२१) जैन धर्म और बौद्ध धर्म के एक प्रसिद्ध भारतीय विद्वान थे। वे मूल रूप से भारत के थे लेकिन अपना अधिकांश जीवन बर्कले, कैलिफ़ोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में बिताया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
- पद्मनाभ जी का जन्म एक दिगंबर जैन परिवार में हुआ था।
- हालाँकि, उन्हें दिगंबर और श्वेतांबर दोनों ही प्रकार के जैन धर्म का गहन ज्ञान था।
- उन्होंने अपनी शिक्षा भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
- बाद में, उन्होंने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए विदेश गमन किया और स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS), लंदन में अध्ययन किया।
शिक्षण और शोध:
- अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद, पद्मनाभ जी ने अध्यापन और शोध के क्षेत्र में अपना कैरियर शुरू किया।
- उन्होंने कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाया, जिनमें शामिल हैं:
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
- स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS)
- मिशिगन विश्वविद्यालय, एन आर्बर
- कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले (जहां से वे १९९४ में सेवानिवृत्त हुए)
प्रमुख रचनाएँ:
- प्रोफेसर जैनी ने जैन धर्म और बौद्ध धर्म पर अनेक पुस्तकें और शोध पत्र लिखे।
- उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तक "दि जैना पाथ ऑफ प्यूरिफिकेशन" (१९७९) है।
- उनके कुछ प्रमुख लेख इन पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं:
- "दि कलेक्टेड पेपर्स ऑन जैना स्टडीज" (२०००)
- "कलेक्टेड पेपर्स ऑन बुद्धिस्ट स्टडीज" (२००१)
योगदान:
- पद्मनाभ श्रीवर्मा जैनी ने जैन धर्म और बौद्ध धर्म के अध्ययन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
- उनके शोध और लेखन ने इन धर्मों की गहरी समझ प्रदान की और पश्चात्य विद्वानों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में काम किया।
निधन:
- पद्मनाभ श्रीवर्मा जैनी का २५ मई २०२१ को ९७ वर्ष की आयु में बर्कले में निधन हो गया।
Padmanabh Shrivarma Jaini was an Indian born scholar of Jainism and Buddhism, living in Berkeley, California, United States. He was from a Digambar Jain family; however he was equally familiar with both the Digambara and Svetambara forms of Jainism. He has taught at the Banaras Hindu University, the School of Oriental and African Studies (SOAS), the University of Michigan at Ann Arbor and at the University of California at Berkeley, from which he retired in 1994. Jaini was the author of several books and papers. His best known work is The Jaina Path of Purification (1979). Some of his major articles have been published under these titles: The Collected Papers on Jaina Studies (2000) and Collected Papers on Buddhist Studies (2001). He died on 25 May 2021 at Berkeley at age 97.