
गुरु मानेयो ग्रंथ
Guru Maneyo Granth
(Historic statement of the 10th Sikh Guru, Guru Gobind Singh)
Summary
गुरु मानीओ ग्रंथ: सिख धर्म का स्थायी गुरु
दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) ने अपनी मृत्यु से पहले एक ऐतिहासिक घोषणा की थी, जहाँ उन्होंने पवित्र ग्रंथ "आदि ग्रंथ" को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, और इस प्रकार मानव गुरुओं की लाइन को समाप्त कर दिया। "गुरु मानीओ ग्रंथ" (गुरुमुखी: ਗੁਰੂ ਮਾਨਿਓ ਗ੍ਰੰਥ) इस घोषणा का संदर्भ देता है।
आदि ग्रंथ को गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में स्थापित किया गया, जो अब सिख धर्म का केंद्रीय पवित्र ग्रंथ है, और सभी सिखों का स्थायी जीवित गुरु है। यह सिख पूजा के लिए केंद्रबिंदु है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इसमें दस सिख गुरुओं में प्रकट होने वाले निर्माता के एक प्रकाश को समाहित किया गया है - दस रूपों में एक आत्मा।
20 अक्टूबर 1708 को नानदेड़ (वर्तमान में महाराष्ट्र) में, जब गुरु गोबिंद सिंह ने सिख धर्म का गुरु के रूप में आदि ग्रंथ को स्थापित किया, तो इस घटना को एक प्रत्यक्षदर्शी, नरबुद सिंह ने "भट्ट वही" (एक कवि की पांडुलिपि) में दर्ज किया था। इस दिन को अब गुरुगद्दी (गुरु गद्दी दिवस) के रूप में मनाया जाता है। गुरु गोबिंद सिंह की यह घोषणा केंद्रीय मंत्र "सभ सिखन को हुकम है, गुरु मानीओ ग्रंथ" का हिस्सा है।
अक्टूबर 2008 में गुरु ग्रंथ साहिब की गुरुता की तिसरी शताब्दी मनाई गई, और दुनिया भर के सिखों द्वारा बड़े उत्सवों के साथ मनाया गया। नानदेड़ में विशेष रूप से उस वर्ष तख्त श्री हजूर साहिब में पूरे साल उत्सव मनाए गए।