
अनागामी
Anāgāmi
(3rd of the four stages of enlightment in Buddhism)
Summary
अनगामी: बौद्ध धर्म में ज्ञान की ओर एक कदम
बौद्ध धर्म में, अनगामी एक ऐसी आंशिक रूप से प्रबुद्ध आत्मा को कहा जाता है जिसने पांच सांसारिक बंधनों को तोड़ दिया है जो एक सामान्य मन को बांध कर रखते हैं। अनगामी, चार आर्य पुरुषों में से तीसरे स्थान पर आते हैं।
अनगामी का अर्थ है "फिर से न लौटने वाला"। यह इसलिए है क्योंकि मृत्यु के बाद अनगामी का पुनर्जन्म मानव जगत में नहीं, बल्कि शुद्धावास नामक स्वर्ग में होता है, जहाँ केवल अनगामी ही निवास करते हैं।
शुद्धावास में रहते हुए, अनगामी ध्यान और ज्ञान की साधना करते हैं और अंततः उन्हें पूर्ण ज्ञान (अर्हतत्व) की प्राप्ति होती है।
यहां अनगामी की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं दी गई हैं:
- पांच निचले बंधनों से मुक्ति: अनगामी ने काम, द्वेष, रूपराग, अरूपराग, और मान इन पांच बंधनों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया होता है।
- पुनर्जन्म से मुक्ति: अनगामी को मृत्यु के बाद शुद्धावास में जन्म मिलता है और उन्हें फिर कभी मानव जगत में जन्म नहीं लेना पड़ता।
- ज्ञान प्राप्ति: शुद्धावास में रहते हुए, अनगामी पूर्ण ज्ञान (अर्हतत्व) प्राप्त करते हैं और दुखों के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त हो जाते हैं।
संक्षेप में, अनगामी वह आत्मा है जिसने ज्ञान प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा लिया है और जो जल्द ही पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके मोक्ष को प्राप्त करेगा।