
वैश्य
Vaishya
(One of the four classes of the Hindu varna system)
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वैश्य: हिन्दू समाज का व्यवसायिक स्तंभ
वर्ण व्यवस्था: हिन्दू धर्म में समाज को चार वर्णों में विभाजित किया गया है - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। वैश्य, इस वर्ण व्यवस्था में तीसरे स्थान पर आते हैं।
पारंपरिक व्यवसाय: वैश्यों का मुख्य कार्य कृषि, पशुपालन, व्यापार और अन्य व्यवसायों को संभालना है।
विस्तार में:
- कृषि: वैश्य समुदाय अन्न उत्पादन का महत्वपूर्ण आधार था। खेती, सिंचाई, फसल उत्पादन सभी कुछ वैश्यों के जिम्मे था।
- पशुपालन: गाय, भैंस, बकरी जैसे पालतू पशुओं का पालन-पोषण भी वैश्यों का ही कार्यक्षेत्र था। दूध, दही, घी जैसे दुग्ध उत्पादों का उत्पादन और वितरण भी इनके द्वारा ही किया जाता था।
- व्यापार: वैश्य समुदाय व्यापार का केंद्र बिंदु था। देश-विदेश से सामान लाना, उनका क्रय-विक्रय करना, बाजार व्यवस्था को चलाना - यह सब वैश्यों के दायित्व में आता था।
- अन्य व्यवसाय: समय के साथ वैश्यों ने अन्य व्यवसायों जैसे कि बैंकिंग, उद्योग, शिल्प आदि में भी अपनी पहचान बनाई।
महत्व: वैश्य समुदाय ने हमेशा से ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी का काम किया है। अन्न, दुग्ध उत्पादन से लेकर व्यापार तक, सभी क्षेत्रों में इनका योगदान अतुलनीय है।
Vaishya is one of the four varnas of the Hindu social order in India. Vaishyas are classed third in the order of Varna hierarchy.