
अकाल तख्त
Akal Takht
(Sikh religious site in Amritsar, Punjab, India)
Summary
अकाल तख्त: सिखों का सर्वोच्च अधिकार स्थल
अकाल तख्त, जिसे पहले अकाल बंगा के नाम से जाना जाता था, पांच तख्तों (सिखों के शक्ति के केंद्रों) में से एक है। यह अमृतसर, पंजाब, भारत में दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) परिसर में स्थित है। अकाल तख्त का निर्माण गुरु हरगोबिंद ने न्याय के स्थान और सांसारिक मुद्दों के विचार के लिए किया था। यह खालसा (सिखों का सामूहिक निकाय) के सांसारिक अधिकार का सर्वोच्च स्थान है, और जत्थेदार का निवास स्थान है जो सिखों का सर्वोच्च प्रवक्ता है।
जत्थेदार की स्थिति में विवाद:
वर्तमान में, जत्थेदार की स्थिति विवादित है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 2018 में ज्ञानी हरप्रीत सिंह को कार्यकारी जत्थेदार नियुक्त किया था। इसके विपरीत, 2015 में कुछ सिख संगठनों द्वारा आयोजित सरबत खालसा ने जगतर सिंह हवारा को जत्थेदार घोषित किया था। हवारा की राजनीतिक कैद के कारण, सरबत खालसा ने धियान सिंह मंद को कार्यकारी जत्थेदार नियुक्त किया था।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सरबत खालसा के अधिकार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिससे स्थिति और जटिल हो गई। इस विवाद ने सिख समुदाय में विभाजन पैदा किया है और अकाल तख्त की भूमिका और अधिकार को लेकर बहस छिड़ गई है।
विवरण:
- अकाल तख्त का नाम "अकाल" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "काल रहित" या "अमर"। "तख्त" का अर्थ है "सिंहासन" या "शक्ति का केंद्र"।
- अकाल तख्त का निर्माण गुरु हरगोबिंद ने 1606 ईस्वी में किया था।
- यह सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है जहां वे प्रार्थना करते हैं, धार्मिक शिक्षा प्राप्त करते हैं और समुदाय के मामलों पर चर्चा करते हैं।
- जत्थेदार को सिख समुदाय के आध्यात्मिक और सांसारिक मामलों में मार्गदर्शन प्रदान करने का अधिकार है।
- अकाल तख्त की भूमिका सिखों के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह सिख धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक है।