Kharak_Singh

खड़क सिंह

Kharak Singh

(Second Maharaja of the Sikh Empire from 1839–1839)

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खड़क सिंह: सिख साम्राज्य के दूसरे महाराजा

खड़क सिंह (22 फरवरी 1801 - 5 नवंबर 1840) सिख साम्राज्य के दूसरे महाराजा थे। वे महाराजा रणजीत सिंह, सिख साम्राज्य के संस्थापक, और उनकी पत्नी महारानी दातार कौर के सबसे बड़े पुत्र थे। उन्होंने 27 जून 1839 को अपने पिता का उत्तराधिकारी बनकर सत्ता संभाली और 8 अक्टूबर 1839 तक शासन किया जब तक कि उन्हें पदच्युत और कैद नहीं कर दिया गया। उनके बाद उनके इकलौते पुत्र नौ निहाल सिंह ने गद्दी संभाली।

खड़क सिंह का जीवन और शासनकाल

  • जन्म: 22 फरवरी 1801, पंजाब
  • पिता: महाराजा रणजीत सिंह
  • माता: महारानी दातार कौर
  • शासनकाल: 27 जून 1839 - 8 अक्टूबर 1839

खड़क सिंह अपने पिता रणजीत सिंह के शासनकाल के दौरान एक सक्रिय भूमिका निभाते थे। वे एक मजबूत और प्रभावशाली व्यक्ति थे, लेकिन अपने पिता के विपरीत, वे राजनीति में कम रुचि रखते थे और शासन करने में ज्यादा कुशल नहीं थे। रणजीत सिंह के अंतिम वर्षों में, खड़क सिंह कई बार अपने पिता से असहमत हुए और सत्ता संघर्ष में शामिल हुए।

रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद, खड़क सिंह को महाराजा घोषित किया गया। हालांकि, उनके शासनकाल को अशांति और राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा। दरबार में विभिन्न गुटों के बीच सत्ता संघर्ष जारी रहा।

खड़क सिंह के शासनकाल में, प्रमुख दरबारी, धन सिंह, ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके खड़क सिंह को कमजोर करने और सत्ता हथियाने की कोशिश की। धन सिंह ने एक समूह बनाकर खड़क सिंह की राजनीतिक और सैन्य नीतियों में हस्तक्षेप किया।

खड़क सिंह की कमजोरी और धन सिंह की साज़िशों का फायदा उठाते हुए, रणजीत सिंह के मंत्री और दरबारी, दीवान दीना नाथ, ने 8 अक्टूबर 1839 को एक षड्यंत्र रचा। उन्होंने खड़क सिंह को गद्दी से उतार दिया और उन्हें कैद कर दिया।

खड़क सिंह की मृत्यु

खड़क सिंह को 5 नवंबर 1840 को जेल में उनकी मृत्यु हो गई। उनके शासनकाल को सिख साम्राज्य के इतिहास में एक अशांत और अस्थिर काल माना जाता है।


Kharak Singh was the second Maharaja of the Sikh Empire. He was the eldest son of Maharaja Ranjit Singh, founder of the Sikh Empire and his consort, Maharani Datar Kaur. He succeeded his father on 27 June 1839 and reigned until his dethronement and imprisonment on 8 October 1839. He was succeeded by his only son Nau Nihal Singh.



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