Dhammapada

धम्मपद

Dhammapada

(Collection of sayings of the Buddha in verse form)

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धम्मपद: बुद्ध के वचनों का अमूल्य संग्रह (In Detail, with Hindi Translation)

धम्मपद (संस्कृत: धर्मपद) बौद्ध धर्मग्रंथों में से एक है, जो भगवान बुद्ध द्वारा कही गयी शिक्षाओं का पद्यात्मक संग्रह है। इसे थेरवाद बौद्ध धर्म के पाली कैनन के खुद्दक निकाय में पाया जाता है। यह बौद्ध धर्म के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले और प्रसिद्ध ग्रंथों में से एक है।

धम्मपद का शाब्दिक अर्थ है "धर्म के पद चिन्ह"। यह ग्रंथ हमें बताता है कि हमें कैसे धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए, कैसे अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।

इस ग्रंथ में कुल ४२३ पद हैं, जिन्हें २६ वर्गों में विभाजित किया गया है। हर एक पद में जीवन के किसी न किसी पहलू पर प्रकाश डाला गया है, जैसे कि:

  • क्रोध: क्रोध पर विजय पाने के उपाय
  • अपमान: अपमान को सहन करने की शक्ति
  • मृत्यु: मृत्यु का भय और उससे मुक्ति
  • प्रेम: सच्चा प्रेम और उसकी महत्ता
  • संगति: अच्छी और बुरी संगति का प्रभाव
  • मन: मन को वश में कैसे करें
  • ध्यान: ध्यान के लाभ और उसका अभ्यास

प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान और टीकाकार बुद्धघोष बताते हैं कि इस संग्रह में दर्ज प्रत्येक पद को बुद्ध ने एक अलग अवसर पर कहा था। यह उस समय कही गयी बातें थीं जब बुद्ध और उनके शिष्यों के जीवन में कोई विशेष घटना घटी थी। उनकी टिप्पणी का अनुवाद, धम्मपद अट्ठकथा, इन घटनाओं का विवरण प्रस्तुत करता है और बुद्ध के जीवन और समय के लिए किंवदंती का एक समृद्ध स्रोत है।

धम्मपद का महत्व:

धम्मपद बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो हमें बुद्ध के उपदेशों को समझने में मदद करता है। इसमें बताई गयी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि वे उस समय थीं। धम्मपद हमें जीवन जीने का एक सरल और व्यावहारिक तरीका सिखाता है।

कुछ प्रसिद्ध पद:

  • मन ही सब कुछ का कारण है।
  • जैसे हम आज हैं, वैसा ही कल होंगे, वैसा ही मरने के बाद भी।
  • क्रोध से क्रोध नहीं मिटता, प्रेम से ही क्रोध मिटता है।
  • जो व्यक्ति क्रोध को जीत लेता है, वह स्वयं को जीत लेता है।
  • सबसे बड़ा धन संतोष है।

धम्मपद का अध्ययन हमें जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रदान करता है और हमें सच्ची शांति और सुख की ओर ले जाता है।


The Dhammapada is a collection of sayings of the Buddha in verse form and one of the most widely read and best known Buddhist scriptures. The original version of the Dhammapada is in the Khuddaka Nikaya, a division of the Pali Canon of Theravada Buddhism.



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