Misr_Diwan_Chand

मिस्र दीवान चंद

Misr Diwan Chand

(General of the Sikh Empire)

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मिस्र दीवान चंद : महाराजा रणजीत सिंह के सैनिक साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ

मिस्र दीवान चंद (1755 - 18 जुलाई 1825) महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण अधिकारी और शक्तिशाली सेनापति थे। एक छोटे से क्लर्क की नौकरी से शुरू होकर, वो महाराजा रणजीत सिंह की सेना के प्रमुख तोपखाने के अधिकारी और सेनापति बन गए। उन्होंने मुल्तान और कश्मीर पर विजय प्राप्त करने वाले अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1816 से 1825 तक, वो खालसा सेना के कमांडर-इन-चीफ भी रहे।

मिस्र दीवान चंद के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ :

  • एक छोटे से क्लर्क से सेनापति तक: मिस्र दीवान चंद का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक छोटे से क्लर्क के रूप में की थी।
  • रणजीत सिंह के साथ जुड़ाव: मिस्र दीवान चंद की प्रतिभा और योग्यता को पहचान कर महाराजा रणजीत सिंह ने उन्हें अपनी सेना में शामिल किया।
  • सेना में तरक्की: मिस्र दीवान चंद ने अपनी वीरता और सैन्य कौशल के बल पर सेना में लगातार तरक्की की।
  • मुल्तान और कश्मीर पर विजय: मिस्र दीवान चंद ने मुल्तान और कश्मीर पर विजय प्राप्त करने वाले अभियानों में महाराजा रणजीत सिंह की सेना का नेतृत्व किया।
  • खालसा सेना के कमांडर-इन-चीफ: 1816 में, मिस्र दीवान चंद को खालसा सेना का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया गया।
  • महाराजा रणजीत सिंह का महत्वपूर्ण स्तंभ: मिस्र दीवान चंद महाराजा रणजीत सिंह के राज्य के निर्माण और विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

निष्कर्ष:

मिस्र दीवान चंद एक कुशल सेनापति और महान नेता थे, जिन्होंने महाराजा रणजीत सिंह के सैनिक साम्राज्य को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें सैनिक इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में याद किया जाता है।


Misr Diwan Chand was a notable officer and a powerful general of Maharaja Ranjit Singh's reign. He rose from petty clerk to the Chief of Artillery and Commander-in-chief of the armies that conquered Multan and Kashmir and also served as the Commander-in-Chief of Khalsa Army from 1816 to 1825. and was a notable pillar of the state.



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