
सिख धर्म
Sikhism
(Religion originating in Punjab, India)
Summary
सिख धर्म: एक विस्तृत विवरण (Sikhism: A Detailed Description)
सिख धर्म, जिसे सिक्खी भी कहा जाता है (पंजाबी: ਸਿੱਖੀ, 'सीखने वाला'), एक भारतीय धर्म और दर्शन है जो 15 वीं शताब्दी के अंत में भारत के पंजाब क्षेत्र में उत्पन्न हुआ। यह सिख समुदाय के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। सिख धर्मग्रंथ गुरुमुखी लिपि में लिखे गए हैं, जो सिखों के लिए खास है। यह दुनिया के सबसे नए स्थापित प्रमुख धार्मिक समूहों में से एक है और दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में से एक है, जिसके लगभग 25-30 मिलियन अनुयायी (सिख के रूप में जाने जाते हैं) हैं।
उत्पत्ति और विकास (Origin and Evolution)
सिख धर्म का विकास गुरु नानक (1469-1539), जो सिख धर्म के पहले गुरु थे, और उनके बाद आने वाले नौ सिख गुरुओं की आध्यात्मिक शिक्षाओं से हुआ। दसवें गुरु, गोबिंद सिंह (1666-1708) ने सिख धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, जिससे मानव गुरुओं की परंपरा का अंत हुआ और धर्मग्रंथ को 11 वें और अंतिम सदा जीवित गुरु के रूप में स्थापित किया गया।
गुरु नानक ने सिखाया कि "सच्चाई, निष्ठा, आत्म-नियंत्रण और पवित्रता" के "सक्रिय, रचनात्मक और व्यावहारिक जीवन" जीना आध्यात्मिक सत्य से ऊपर है। उन्होंने कहा कि आदर्श व्यक्ति "ईश्वर के साथ एकता स्थापित करता है, उसकी इच्छा जानता है, और उस इच्छा को पूरा करता है"। छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद (1606-1644) ने मिरी ('राजनीतिक'/'लौकिक') और पीरी ('आध्यात्मिक') क्षेत्रों के पारस्परिक सह-अस्तित्व की अवधारणा को स्थापित किया।
मुख्य मान्यताएँ (Core Beliefs)
सिख धर्मग्रंथ की शुरुआत मूल मंत्र से होती है, जो इक ओंकार (ੴ, 'एक सृजनहार') के बारे में एक मौलिक प्रार्थना है। गुरु ग्रंथ साहिब में व्यक्त सिख धर्म की मुख्य मान्यताओं में एक सृजनहार के नाम में विश्वास और ध्यान; सभी मनुष्यों की दिव्य एकता और समानता; सेवा ('निःस्वार्थ सेवा') में संलग्न होना; सभी के लाभ और समृद्धि के लिए न्याय के लिए प्रयास करना; और एक गृहस्थ जीवन जीते हुए ईमानदार आचरण और आजीविका शामिल है। इस मानक का पालन करते हुए, सिख धर्म इस दावे को खारिज करता है कि किसी विशेष धार्मिक परंपरा का पूर्ण सत्य पर एकाधिकार है।
सिख धर्म सिमरन (ਸਿਮਰਨ, ध्यान और गुरुओं की शिक्षाओं का स्मरण) पर जोर देता है, जिसे कीर्तन के माध्यम से संगीतमय रूप से या नाम जपना ('उसके नाम का ध्यान') के माध्यम से आंतरिक रूप से ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करने के साधन के रूप में व्यक्त किया जा सकता है। यह अनुयायियों को "पांच चोरों" (काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार) को बदलने के लिए सिखाता है।
धार्मिक उत्पीड़न और खालसा का उदय (Religious Persecution and the Rise of the Khalsa)
सिख धर्म का विकास और विकास धार्मिक उत्पीड़न के समय में हुआ, जिससे हिंदू धर्म और इस्लाम दोनों से धर्मान्तरित हुए। भारत के मुगल सम्राटों ने दो सिख गुरुओं - गुरु अर्जन (1563-1605) और गुरु तेग बहादुर (1621-1675) - को इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार करने पर प्रताड़ित किया और मार डाला। 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा की स्थापना के पीछे सिखों का उत्पीड़न एक प्रमुख कारण था। खालसा की स्थापना विवेक और धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक आदेश के रूप में की गई थी, जिसमें सदस्य संत-सिपाही ('संत-योद्धा') के गुणों को व्यक्त करते थे।