
सूत्र
Sutra
(Text in Hinduism, Buddhism or Jainism, often a collection of aphorisms)
Summary
सूत्र
"सूत्र" संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है "धागा" या "सूत"। भारतीय साहित्यिक परंपराओं में, सूत्र किसी विषय के सार को संक्षेप में प्रस्तुत करने का एक तरीका है। यह एक छोटा सा सूत्र या सूक्तियों का संग्रह हो सकता है जो किसी नियम, सिद्धांत, या अवधारणा को संक्षेप में व्यक्त करता है।
सूत्र प्राचीन और मध्ययुगीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं, खासकर हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में।
हिंदू धर्म में सूत्र:
हिंदू धर्म में, सूत्र एक विशिष्ट प्रकार की साहित्यिक रचना है जो छोटे, सूत्रीय कथनों का संकलन होती है। प्रत्येक सूत्र एक संक्षिप्त नियम या सिद्धांत होता है, जैसे कोई प्रमेय जिसे कुछ शब्दों या अक्षरों में संघनित किया गया हो। इन सूत्रों के इर्द-गिर्द धार्मिक अनुष्ठानों, दर्शन, व्याकरण, या ज्ञान के किसी भी क्षेत्र की शिक्षाएं बुनी जा सकती हैं।
सबसे पुराने हिंदू सूत्र वेदों की ब्राह्मण और आरण्यक परतों में पाए जाते हैं। हिंदू दर्शन के प्रत्येक सम्प्रदाय, संस्कारों के लिए वैदिक मार्गदर्शिकाएँ, कला के विभिन्न क्षेत्र, कानून और सामाजिक नैतिकता ने अपने-अपने सूत्र विकसित किए, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक विचारों को सिखाने और प्रसारित करने में मदद करते हैं।
बौद्ध धर्म में सूत्र:
बौद्ध धर्म में सूत्रों को "सुत्त" भी कहा जाता है। ये बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथ हैं, जिनमें से कई को गौतम बुद्ध की मौखिक शिक्षाओं का अभिलेख माना जाता है। ये सूत्र संक्षिप्त नहीं होते हैं, बल्कि काफी विस्तृत होते हैं, और कभी-कभी दोहराव के साथ होते हैं। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि इनकी उत्पत्ति वैदिक या संस्कृत "सूक्त" (अच्छी तरह से बोला गया) से हुई है, न कि "सूत्र" (धागा) से।
जैन धर्म में सूत्र:
जैन धर्म में सूत्रों को "सूय" भी कहा जाता है। ये जैन आगमों में निहित महावीर के उपदेशों और कुछ बाद के (उत्तर-नैतिक) मानक ग्रंथों का संग्रह हैं।
संक्षेप में:
सूत्र भारतीय धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में ज्ञान के संक्षिप्तिकरण और प्रसारण का एक महत्वपूर्ण साधन रहे हैं। ये छोटे, सूत्रीय कथन जटिल विषयों को समझने और याद रखने में सहायक होते हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ज्ञान के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।