
संघा
Sangha
(Sanskrit word meaning religious community)
Summary
संघ: एक विस्तृत व्याख्या (Sangha: A detailed explanation)
"संघ" एक संस्कृत शब्द है जिसका उपयोग कई भारतीय भाषाओं में किया जाता है, जिसमें पाली भी शामिल है। इसका अर्थ है "संगठन," "सभा," "समूह" या "समुदाय"। इन भाषाओं में, संघ का प्रयोग अक्सर उपनाम के रूप में भी किया जाता है।
राजनीतिक संदर्भ में: ऐतिहासिक रूप से, इसका उपयोग एक गणराज्य या राज्य में शासी सभा को दर्शाने के लिए किया जाता था।
धार्मिक संदर्भ में: लंबे समय से, इसका उपयोग बौद्ध, जैन और सिख धर्मों सहित धार्मिक संगठनों द्वारा किया जाता रहा है। इस इतिहास को देखते हुए, कुछ बौद्धों का मानना है कि संघ मानवता की सबसे पुरानी जीवित लोकतांत्रिक संस्था का प्रतिनिधित्व करता है।
बौद्ध धर्म में संघ (Sangha in Buddhism)
बौद्ध धर्म में, संघ भिक्षु (monk) और भिक्षुणी (nun) के मठवासी समुदायों को संदर्भित करता है। इन समुदायों को पारंपरिक रूप से भिक्षु-संघ या भिक्षुणी-संघ कहा जाता है।
एक अलग श्रेणी के रूप में, उन बौद्धों को जो आर्य सत्य के चारों चरणों में से किसी एक को प्राप्त कर चुके हैं, चाहे वे मठवासी समुदाय के सदस्य हों या न हों, उन्हें आर्यसंघ ("noble Sangha") कहा जाता है।
थेरवाद और निचिरेन शोशु बौद्ध धर्म (Theravada and Nichiren Shoshu Buddhism)
थेरवाद स्कूल और निचिरेन शोशु बौद्ध धर्म के अनुसार, संघ शब्द का प्रयोग न तो श्रावक (lay followers) के समुदाय के लिए किया जाता है और न ही समग्र रूप से बौद्धों के समुदाय के लिए।