द्वादशी
Dwadashi
(Twelfth day of the lunar month in the Hindu calendar)
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द्वादशी: एक विस्तृत विवरण
हिन्दू कैलेंडर में, द्वादशी एक चंद्रमास के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में आने वाला बारहवाँ दिन (तिथि) है। इसे द्वादशी भी कहा जाता है।
द्वादशी का महत्व:
- तुलसी पूजा: द्वादशी को तुलसी वृक्ष की पूजा का दिन माना जाता है। तुलसी को हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसे विष्णु जी से जोड़ा जाता है।
- विष्णु की उपासना: द्वादशी को भगवान विष्णु की उपासना का विशेष दिन माना जाता है।
- एकादशी व्रत का अंत: द्वादशी दसमी (दशमी) से शुरू होने वाले तीन दिनों के एकादशी व्रत का अंत होती है।
द्वादशी के प्रकार:
हिन्दू धर्म में, द्वादशी को उसके शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आने के अनुसार नाम दिया जाता है। जैसे:
- शुक्ल पक्ष की द्वादशी: यह द्वादशी पूर्णिमा के पहले आती है।
- कृष्ण पक्ष की द्वादशी: यह द्वादशी अमावस्या के पहले आती है।
द्वादशी पर किया जाने वाला कार्य:
- व्रत: कई लोग द्वादशी पर व्रत रखते हैं।
- पूजा: द्वादशी के दिन तुलसी वृक्ष और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
- दान: द्वादशी पर दान करना शुभ माना जाता है।
द्वादशी से जुड़ी कथाएँ:
हिन्दू धर्म में द्वादशी से जुड़ी कई कथाएँ हैं। इन कथाओं में द्वादशी के महत्व और भगवान विष्णु से जुड़े आख्यानों को बताया गया है।
निष्कर्ष:
द्वादशी एक महत्वपूर्ण तिथि है जो हिन्दू धर्म में तुलसी वृक्ष और भगवान विष्णु की पूजा से जुड़ी है। यह दिन एकादशी व्रत का अंत भी दर्शाता है।
Dwadashi, also rendered Dvadashi, is the twelfth lunar day (tithi) of the shukla (bright) or krishna (dark) fortnight, or Paksha, of every lunar month in the Hindu calendar.