
शिनरन
Shinran
(Japanese Buddhist monk)
Summary
शिनरान: एक विस्तृत परिचय (हिंदी में)
शिनरान, एक प्रभावशाली जापानी बौद्ध भिक्षु थे, जिनका जन्म 21 मई, 1173 को हिनो (अब फुशिमी, क्योटो का हिस्सा) में हुआ था। यह समय हेयान काल के अशांत अंत का था और उनका जीवन कामाकुरा काल तक चला।
यह काल जापान में बड़े राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल का समय था। शिनरान ने अपने जीवन में इन उथल-पुथल का गहराई से अनुभव किया और इनका असर उनके धार्मिक विचारों पर भी पड़ा।
शिनरान, होनेन नामक एक प्रसिद्ध बौद्ध गुरु के शिष्य थे। होनेन ने "शुद्ध भूमि बौद्ध धर्म" का प्रचार किया, जो अमिताभ बुद्ध की करुणा पर आधारित एक सरल और सुलभ मार्ग था। शिनरान ने होनेन की शिक्षाओं को आत्मसात किया और उन्हें आगे बढ़ाया।
अपने गुरु की शिक्षाओं से प्रेरित होकर, शिनरान ने "जोदो शिनशु" नामक बौद्ध धर्म की एक नई शाखा की स्थापना की। "जोदो शिनशु" का अर्थ है "शुद्ध भूमि का सच्चा पंथ"। यह पंथ अमिताभ बुद्ध में पूर्ण विश्वास और उनकी कृपा पर निर्भरता पर बल देता है।
शिनरान ने सिखाया कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या या जटिल धार्मिक कर्मकांडों की आवश्यकता नहीं है। उनके अनुसार, केवल अमिताभ बुद्ध में सच्ची श्रद्धा और उनके नाम का जप (नेम्बुत्सु) ही मुक्ति का एकमात्र मार्ग है।
अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, शिनरान ने बौद्ध धर्म को आम लोगों के लिए सुलभ बनाने का काम किया। उन्होंने जापानी भाषा में धार्मिक ग्रंथों की रचना की और अपने अनुयायियों को सामाजिक बंधनों से मुक्त होकर धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।
16 जनवरी, 1263 को शिनरान का निधन हो गया। उनकी मृत्यु के बाद, "जोदो शिनशु" जापान में बौद्ध धर्म की एक प्रमुख शाखा बन गया और आज भी लाखों लोगों द्वारा इसका पालन किया जाता है।