
आठ चेतनाएँ
Eight Consciousnesses
(Types of consciousness in Mahayana Buddhism)
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आठ विज्ञान: एक विस्तृत व्याख्या (Eight Consciousnesses: A Detailed Explanation in Hindi)
योगाचार महायान बौद्ध धर्म की परंपरा में, आठ विज्ञान (अष्ट विज्ञानकायाः) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह पाँच इंद्रियों की चेतना के साथ-साथ मन की चेतना को भी सम्मिलित करते हुए कुल आठ प्रकार की चेतना का वर्णन करती है।
आइए, इन आठ विज्ञानों को विस्तार से समझते हैं:
- चक्षुर्विज्ञान (दृश्य चेतना): यह आँखों के माध्यम से रूपों को देखने और पहचानने की क्षमता है।
- श्रोत्रविज्ञान (श्रवण चेतना): यह कानों के माध्यम से ध्वनियों को सुनने और समझने की क्षमता है।
- घ्राणविज्ञान (घ्राण चेतना): यह नाक के माध्यम से गंधों को सूंघने और पहचानने की क्षमता है।
- जिह्वाविज्ञान (स्वाद चेतना): यह जीभ के माध्यम से स्वादों को चखने और पहचानने की क्षमता है।
- कायविज्ञान (स्पर्श चेतना): यह त्वचा के माध्यम से स्पर्श, तापमान, दबाव आदि को महसूस करने की क्षमता है।
- मनोविज्ञान (मानसिक चेतना): यह छठी चेतना है जो विचारों, भावनाओं, स्मृतियों और कल्पनाओं को संसाधित करती है।
- क्लिष्टमनोविज्ञान (क्लेशयुक्त मानसिक चेतना): यह सातवीं चेतना है जो अज्ञान, राग, द्वेष, और अभिमान जैसे क्लेशों से युक्त होती है और हमारे दुखों का मूल कारण मानी जाती है।
- आलयविज्ञान (आधार चेतना): यह आठवीं और सबसे महत्वपूर्ण चेतना है। यह एक प्रकार का भंडार गृह है जहाँ हमारे सभी पूर्व जन्मों के कर्मों के संस्कार संग्रहित रहते हैं। इन्हीं संस्कारों को वासना कहा जाता है, जो भविष्य के कर्मों और पुनर्जन्म के लिए बीज का काम करते हैं।
योगाचार दर्शन के अनुसार, आठवाँ विज्ञान, आलयविज्ञान, अन्य सभी सात विज्ञानों का आधार है। यह इस जन्म और अगले जन्मों में हमारे कर्मों को प्रभावित करता है। इसलिए, बौद्ध धर्म में मुक्ति (निर्वाण) प्राप्त करने के लिए आठवें विज्ञान को शुद्ध करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
The Eight Consciousnesses is a classification developed in the tradition of the Yogācāra school of Mahayana Buddhism. They enumerate the five sense consciousnesses, supplemented by the mental consciousness (manovijñāna), the defiled mental consciousness (kliṣṭamanovijñāna), and finally the fundamental store-house consciousness (ālāyavijñāna), which is the basis of the other seven. This eighth consciousness is said to store the impressions (vāsanāḥ) of previous experiences, which form the seeds (bīja) of future karma in this life and in the next after rebirth.