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जापान में बौद्ध धर्म

Buddhism in Japan

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जापान में बौद्ध धर्म (日本語: 日本の仏教, निहोन नो बुक्क्यो)

जापान में बौद्ध धर्म छठी शताब्दी ईस्वी में स्थापित हुआ था। अधिकांश जापानी बौद्ध, बौद्ध धर्म के नए संप्रदायों से संबंधित हैं जो कामकुरा काल (1185-1333) में स्थापित हुए थे।

यहां जापान में बौद्ध धर्म के इतिहास और वर्तमान स्थिति के बारे में कुछ जानकारी दी गई है:

प्रारंभिक इतिहास:

  • छठी शताब्दी: बौद्ध धर्म कोरिया से जापान आया।
  • नारा काल (710-794): बौद्ध धर्म का विकास हुआ और छह प्रमुख संप्रदाय स्थापित हुए।
  • कामकुरा काल (1185-1333): नए बौद्ध संप्रदायों का उदय हुआ, जैसे कि जेन, प्योर लैंड और निचिरेन।

एदो काल (1603-1868):

  • तोकुगावा शोगुनेट ने बौद्ध धर्म को नियंत्रित किया।
  • सभी जापानी नागरिकों को एक बौद्ध मंदिर से संबद्ध होना आवश्यक था।

मेइजी काल (1868-1912):

  • बौद्ध धर्म के खिलाफ प्रतिक्रिया हुई और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
  • सरकार ने बौद्ध धर्म और शिंटो धर्म को अलग करने के लिए शिनबुत्सु बुनरी नीति लागू की।

वर्तमान स्थिति:

  • 2022 में, जापान की लगभग 57% आबादी यानी लगभग 70.8 मिलियन लोग खुद को बौद्ध मानते हैं।
  • सबसे बड़ा संप्रदाय प्योर लैंड है, जिसके 22 मिलियन अनुयायी हैं।
  • इसके बाद निचिरेन बौद्ध धर्म (10 मिलियन), शिंगोन बौद्ध धर्म (5.4 मिलियन), जेन बौद्ध धर्म (5.3 मिलियन) और तेंदई बौद्ध धर्म (2.8 मिलियन) आते हैं।
  • नारा काल में स्थापित छह पुराने संप्रदायों के केवल 700,000 अनुयायी हैं।

आज, जापान में बौद्ध धर्म विभिन्न रूपों में प्रचलित है, जिसमें ध्यान, मंदिर दर्शन, त्यौहार और अंतिम संस्कार की रस्में शामिल हैं।


Buddhism in Japan was first established in the 6th century CE. Most of the Japanese Buddhists belong to new schools of Buddhism which were established in the Kamakura period (1185-1333). During the Edo (Tokugawa)-period (1603–1868), Buddhism was controlled by the feudal Shogunate. The Meiji-period (1868–1912) saw a strong response against Buddhism, with persecution and a forced separation between Buddhism and Shinto.



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