
अमावस्या
Amavasya
(Last day of the dark lunar fortnight)
Summary
अमावस्या: जब चाँद गायब हो जाता है
"अमावस्या" एक संस्कृत शब्द है जो चाँद के उस रूप को दर्शाता है जब वह पूरी तरह से गायब सा दिखता है। इसे हम "नया चाँद" भी कह सकते हैं।
भारतीय कैलेंडर में चाँद के 30 रूप होते हैं, जिन्हें "तिथि" कहा जाता है। "अमावस्या" एक ऐसी तिथि है जब सूर्य और चाँद के बीच का कोणीय दूरी 12 डिग्री से कम होता है। यह वह समय होता है जब सूर्य और चाँद एक सीध में होते हैं, जिसे "युति" कहते हैं। युति के बाद वाली 12 डिग्री की कोणीय दूरी को "प्रतिपदा" या "प्रथमा" कहा जाता है, जो नए चाँद की शुरुआत का प्रतीक है।
अंग्रेजी में "युति" से पहले वाले चाँद के लिए कोई खास शब्द नहीं है, इसलिए "अमावस्या" का अनुवाद अक्सर "नया चाँद" (New Moon) के रूप में किया जाता है।
सरल शब्दों में:
अमावस्या वह रात होती है जब आसमान में चाँद बिल्कुल दिखाई नहीं देता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूरज और चाँद एक ही दिशा में होते हैं, और सूरज की रोशनी चाँद के उस हिस्से पर पड़ती है जो हमसे दूर होता है।