
भिक्खुनी
Bhikkhunī
(Ordained female Buddhist monastic)
Summary
बौद्ध भिक्षुणी: एक विस्तृत विवरण
भिक्षुणी (Pali: 𑀪𑀺𑀓𑁆𑀔𑀼𑀦𑀻, Sanskrit: भिक्षुणी) बौद्ध धर्म में पूर्ण रूप से दीक्षित महिला साध्वी होती हैं।
जीवनशैली: भिक्षुणी विनय द्वारा निर्देशित जीवन जीती हैं, जो बौद्ध धर्म के विभिन्न सम्प्रदायों में अलग-अलग हैं:
- थेरवाद: 311 नियम
- धर्मगुप्तक: 348 नियम
- मूलसर्वास्तिवाद: 364 नियम
इतिहास: हाल के वर्षों तक, महिला मठवासी परंपरा केवल महायान बौद्ध धर्म में ही जीवित रही है, जैसे कि चीन, कोरिया, ताइवान, जापान और वियतनाम जैसे देशों में।
हालांकि, हाल ही में थेरवाद और वज्रयान स्कूलों में भी कुछ महिलाओं ने पूर्ण भिक्षुणी दीक्षा ली है। विशेष रूप से, 23 जून 2022 को भूटान में 144 महिलाओं को पूर्ण भिक्षुणी दीक्षा दी गई, जिससे तिब्बती बौद्ध भिक्षुणी परंपरा का आधिकारिक रूप से पुनःस्थापन हुआ।
बुद्ध के उपदेश: बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम हैं। कथाओं के अनुसार, भगवान बुद्ध ने अपनी मौसी और धाय माँ महाप्रजापति गौतमी के अनुरोध पर ही सर्वप्रथम भिक्षुणी संघ की स्थापना की थी। महाप्रजापति गौतमी पहली भिक्षुणी बनीं।
प्रारंभिक बौद्ध साहित्य: थेरीगाथा, जो पाली कैनन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, प्रारंभिक बौद्ध स्कूलों की ज्येष्ठ भिक्षुणियों द्वारा रचित ज्ञानोदय पर आधारित कविताओं का संग्रह है।
दीक्षा और नियम: भिक्षुणी दीक्षा के लिए महिलाओं को कुछ अतिरिक्त नियमों का पालन करना होता है। आठ गरूधम्म, जिनकी रचना बुद्ध के द्वारा सिद्ध नहीं है, विवादास्पद हैं। ये नियम भिक्षुणी संघ को भिक्षु संघ के अधीन और आश्रित बताते हैं। भिक्षुओं के लिए 253 विनय नियम हैं।
जिन स्थानों पर ऐतिहासिक रूप से भिक्षुणी परंपरा अनुपस्थित रही है या कठिनाइयों के कारण समाप्त हो गई है, वहां त्याग के वैकल्पिक रूप विकसित हुए हैं।
तिब्बती बौद्ध धर्म: तिब्बती बौद्ध धर्म में, महिलाएं पहले एक साधारण व्यक्ति के रूप में शरणागति व्रत लेती हैं। फिर, पूर्ण भिक्षुणी दीक्षा से पहले, उन्हें रब्जुंग (rab-jung) के त्याग व्रत और गेत्सल्मा (getsulma, संस्कृत में श्रामणेरी) के नौसिखिया दीक्षा व्रत दिए जाते हैं।
थेरवाद परंपरा: कुछ थेरवाद महिलाएं गेत्सल्मा (श्रामणेरी) के ऐतिहासिक व्रतों के समान अनौपचारिक और सीमित व्रत ले सकती हैं, जैसे कि थाईलैंड में माएची (maechi) और म्यांमार में थिलाशिन (thilashin).
निष्कर्ष: भिक्षुणी संघ बौद्ध धर्म का एक अभिन्न अंग रहा है, और यह महिलाओं को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।