Chalukya_dynasty

चालुक्य वंश

Chalukya dynasty

(Classical Indian dynasty (543–753))

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चालुक्य वंश: एक विस्तृत विवरण (Detailed Description of Chalukya Dynasty)

चालुक्य वंश, प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण राजवंश था जिसने ६वीं से १२वीं शताब्दी के बीच दक्षिण और मध्य भारत के बड़े हिस्सों पर राज किया। यह वंश तीन शाखाओं में विभाजित था, जो एक-दूसरे से संबंधित होने के बावजूद, अलग-अलग राजवंशों के रूप में शासन करते थे।

१. बादामी के चालुक्य (Badami Chalukyas): यह सबसे पहला और मुख्य वंश था जिसने छठी शताब्दी के मध्य से वातापी (आधुनिक बादामी) से शासन किया। बनवासी के कदम्ब साम्राज्य के पतन के बाद, बादामी के चालुक्यों ने अपनी स्वतंत्रता का दावा किया और पुलकेशिन द्वितीय के शासनकाल में तेजी से शक्तिशाली बन गए।

२. पूर्वी चालुक्य (Eastern Chalukyas): पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु के बाद, पूर्वी दक्कन में पूर्वी चालुक्यों ने एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। वे लगभग ११वीं शताब्दी तक वेंगी से शासन करते रहे।

३. पश्चिमी चालुक्य (Western Chalukyas): आठवीं शताब्दी के मध्य में राष्ट्रकूटों के उदय ने बादामी के चालुक्यों को गद्दी से हटा दिया। हालांकि, १०वीं शताब्दी के अंत में उनके वंशजों, पश्चिमी चालुक्यों ने पुनः सत्ता हासिल की। ये पश्चिमी चालुक्य १२वीं शताब्दी के अंत तक कल्याणी (आधुनिक बसवकल्याण) से शासन करते रहे।

चालुक्यों का महत्व (Importance of Chalukyas):

  • दक्षिण भारत के इतिहास में मील का पत्थर: चालुक्यों का शासन दक्षिण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और कर्नाटक के इतिहास में एक स्वर्णिम युग माना जाता है।
  • बड़े साम्राज्यों का उदय: बादामी के चालुक्यों के उदय के साथ, दक्षिण भारत में छोटे राज्यों से बड़े साम्राज्यों में राजनीतिक परिवर्तन आया। इस साम्राज्य ने कावेरी और नर्मदा नदियों के बीच के पूरे क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले लिया।
  • प्रशासन, व्यापार और वास्तुकला: चालुक्य साम्राज्य कुशल प्रशासन, समुद्री व्यापार और वाणिज्य के विकास के लिए जाना जाता था। इस युग में "चालुक्य वास्तुकला" नामक एक नई शैली का विकास हुआ।
  • साहित्यिक संरक्षण: नौवीं शताब्दी में राष्ट्रकूट दरबार में कन्नड़ साहित्य को जो शाही संरक्षण मिला, वह पश्चिमी चालुक्यों के शासनकाल में जैन और वीरशैव परंपराओं में भी जारी रहा। ११वीं शताब्दी में पूर्वी चालुक्यों ने तेलुगु साहित्य को भी बढ़ावा दिया।

संक्षेप में, चालुक्य वंश ने न केवल दक्षिण भारत के राजनीतिक मानचित्र को बदला, बल्कि कला, संस्कृति, प्रशासन और व्यापार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।


The Chalukya dynasty was a Classical Indian dynasty that ruled large parts of southern and central India between the 6th and the 12th centuries. During this period, they ruled as three related yet individual dynasties. The earliest dynasty, known as the "Badami Chalukyas", ruled from Vatapi from the middle of the 6th century. The Badami Chalukyas began to assert their independence at the decline of the Kadamba kingdom of Banavasi and rapidly rose to prominence during the reign of Pulakeshin II. After the death of Pulakeshin II, the Eastern Chalukyas became an independent kingdom in the eastern Deccan. They ruled from Vengi until about the 11th century. In the western Deccan, the rise of the Rashtrakutas in the middle of the 8th century eclipsed the Chalukyas of Badami before being revived by their descendants, the Western Chalukyas, in the late 10th century. These Western Chalukyas ruled from Kalyani until the end of the 12th century.



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