Kṣitigarbha

क्षितिगर्भ

Kṣitigarbha

(Bodhisattva)

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क्षितिगर्भ: पृथ्वी का हृदय, नरक के प्राणियों के बोधिसत्व

क्षितिगर्भ (संस्कृत: क्षितिगर्भ), पूर्वी एशियाई बौद्ध धर्म में एक पूजनीय बोधिसत्व हैं। वे धरती के भीतर अनंत प्राणियों के कल्याण हेतु समर्पित हैं। उनके नाम का अर्थ "पृथ्वी का खजाना," "पृथ्वी का भंडार," "पृथ्वी का गर्भ," या "पृथ्वी का हृदय" हो सकता है।

क्षितिगर्भ का महत्व

  • गौतम बुद्ध और मैत्रेय के बीच: क्षितिगर्भ ने गौतम बुद्ध की मृत्यु और मैत्रेय के आगमन के बीच के काल में, छहों लोकों में सभी प्राणियों को शिक्षित करने का संकल्प लिया है।

  • नरक के प्राणियों के रक्षक: उन्होंने तब तक बुद्धत्व प्राप्त न करने का प्रण लिया है जब तक कि सभी नरक खाली न हो जाएं। इसलिए उन्हें अक्सर नरक के प्राणियों का बोधिसत्व माना जाता है।

  • बच्चों के रक्षक: जापानी संस्कृति में, क्षितिगर्भ को बच्चों के रक्षक और मृत बच्चों और गर्भपात भ्रूणों के संरक्षक देवता के रूप में भी पूजा जाता है।

क्षितिगर्भ का स्वरूप

  • मुंडित सिर और प्रभामंडल: उन्हें आमतौर पर एक बौद्ध भिक्षु के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसके मुंडित सिर के चारों ओर एक प्रभामंडल होता है।

  • दण्ड और मणि:

    • दण्ड: वे नरक के द्वार खोलने के लिए एक दण्ड (लाठी) धारण करते हैं।
    • मणि: उनके हाथ में एक कामना-पूर्ति करने वाली मणि होती है जो अंधेरे को दूर करती है।

अन्य भाषाओं में नाम

  • चीनी: 地藏 (Dìzàng)
  • जापानी: 地蔵 (Jizō)
  • कोरियाई: 지장 (Jijang)
  • वियतनामी: Địa Tạng
  • तिब्बती: ས་ཡི་སྙིང་པོ་ (sa yi snying po)

क्षितिगर्भ, करुणा और त्याग के प्रतीक हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि हमें सभी प्राणियों के कल्याण के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए, चाहे वे किसी भी परिस्थिति में क्यों न हों।


Kṣitigarbha is a bodhisattva primarily revered in East Asian Buddhism and usually depicted as a Buddhist monk. His name may be translated as "Earth Treasury", "Earth Store", "Earth Matrix", or "Earth Womb". Kṣitigarbha is known for his vow to take responsibility for the instruction of all beings in the six worlds between the death of Gautama Buddha and the rise of Maitreya, as well as his vow not to achieve Buddhahood until all hells are emptied. He is therefore often regarded as the bodhisattva of hell-beings, as well as the guardian of children and patron deity of deceased children and aborted fetuses in Japanese culture.



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